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ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त करने पर विपक्ष हमलावर

ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्त करने पर विपक्ष हमलावर

  • अध्यक्ष के फैसले को अलोकतांत्रिक बताया

  • कांग्रेस और भाजपा ने साधा निशाना

  • निर्धारित समय से 26 कार्यदिवस पहले अनिश्चितकाल के लिए सदन स्थगित करने पर उठाए सवाल

भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा का शीतकालीन सत्र को अपने निर्धारित समय से कम से कम 26 कार्यदिवस पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद विपक्ष ने जमकर हमला बोला है। विपक्ष ने अध्यक्ष के फैसले को अलोकतांत्रिक करार दिया है।

कांग्रेस विधायक दल के नेता नरसिंह मिश्र ने आरोप लगाया कि चार दिनों के कामकाज के बाद सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का अध्यक्ष का निर्णय अलोकतांत्रिक है। इससे साबित होता है कि राज्य सरकार विपक्ष से डरती है। सदन में उठाए गए विपक्ष के सवालों का उसके पास कोई जवाब नहीं है। इसलिए, उन्होंने सदन को जल्दबाजी में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। ओडिशा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के स्थगन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास सदन में चर्चा करने के लिए किसानों की आय, धान खरीद और क्षेत्रीय असमानता सहित कई मुद्दे थे। उन पर प्रश्नकाल और शून्यकाल के दौरान बहस हो सकती थी। हालांकि, सरकार ने सवालों से बचने के लिए सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। उन्होंने सदन में चर्चा के दौरान मंत्रियों को किसी भी विधेयक की जानकारी नहीं होने का आरोप लगाते हुए इस तरह की कार्रवाई के लिए सरकार को पलायनवादी बताया। उन्होंने मीडिया से कहा कि हम जनता के प्रति जवाबदेह हैं। लोग हमसे पूछ रहे हैं कि सदन को केवल चार दिनों में अनिश्चितकाल के लिए क्यों स्थगित कर दिया गया। हम इस मामले को लोगों तक ले जाएंगे।

इधर, इस मुद्दे पर भाजपा के मुख्य सचेतक मोहन चरण माझी ने बीजद सरकार की आलोचना की। माझी ने कहा कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र 21 नवंबर को शुरू हुआ था और यह 30 दिसंबर को समाप्त होने वाला था। इसमें 30 कार्यदिवस थे, लेकिन सदन शुरू होने के चार दिन बाद ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हमने सदन के सुचारू संचालन के लिए सरकार का सहयोग किया था। हालांकि, अध्यक्ष ने सदन में कोई सरकारी कामकाज नहीं होने का हवाला देते हुए अनिश्चितकाल के लिए घोषणा कर दी।

इस खबर को भी पढ़ेंः-चार राज्यों को पार कर ओडिशा पहुंचा रॉयल बंगाल टाइगर

उन्होंने आलोचना करते हुए कहा कि सत्र के दौरान कई सरकारी विधेयक पेश किए जा सकते थे। इतने सारे मुद्दों पर चर्चा हो सकती थी, लेकिन कुछ न हुआ। बीजद सरकार ने केवल चार कार्यदिवसों में सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करके एक इतिहास रचा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

सरकार और उसकी व्यवस्था पर निशाना साधते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि सरकार ने राज्य भर के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में लोगों से शिकायतें एकत्र करने के लिए तत्कालीन 5-टी सचिव की यात्रा पर करोड़ों रुपये खर्च किया। सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों को लेकर निचले पीएमजी क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन किये गये। दुर्भाग्यवश, न तो संबंधित विभागों के मंत्री और न ही 5-टी चेयरमैन उन लोगों तक पहुंच सके, जो विधानसभा से महज 300 मीटर की दूरी पर धरना स्थल पर धरना दे रहे हैं। माझी ने आरोप लगाया कि सरकार ने किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित किए बिना भागने की स्थिति का विकल्प चुना। बल्कि, इसने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

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