-
गजपति महाराज के अनुरोध पर दीघा मंदिर से ‘धाम’ शब्द हटाने से किया इनकार
-
इस्कॉन ने कहा – मेरे पास सिर्फ पूजा की जिम्मेदारी, नाम बदलना हमारे अधिकार में नहीं
-
ओडिशा सरकार को ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया का इंतजार
भुवनेश्वर। ‘जगन्नाथ धाम’ नाम को लेकर जारी विवाद पर इस्कॉन ने गजपति महाराज के अनुरोध को यह कहकर ठुकरा दिया है कि दीघा स्थित नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर से ‘धाम’ शब्द हटवाना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। पुरी के गजपति महाराज और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ने इस्कॉन से अनुरोध किया था कि वह दीघा मंदिर ट्रस्ट को नाम में बदलाव के लिए प्रेरित करे। इस पर जवाब देते हुए इस्कॉन ने स्पष्ट किया कि उनकी भूमिका केवल पूजा-अर्चना तक सीमित है और नामकरण का निर्णय राज्य सरकार और मंदिर ट्रस्ट द्वारा लिया गया था, जिस पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति (एसजेटीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में गजपति महाराज ने 7 मई को इस्कॉन की गवर्निंग बॉडी कमीशन (मायापुर, पश्चिम बंगाल) के अध्यक्ष गोवर्धन दास प्रभु को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि दीघा मंदिर ट्रस्ट को समझाया जाए कि वे ‘धाम’ शब्द को हटाएं, ताकि पुरी के धार्मिक महत्व और परंपरा की गरिमा बनी रहे।
हालांकि इस्कॉन भुवनेश्वर के अध्यक्ष सत्वतपति दास ने स्पष्ट किया कि दीघा में बना जगन्नाथ मंदिर पश्चिम बंगाल सरकार की पहल पर बना है और इस्कॉन का इसमें कोई प्रशासनिक या निर्णयात्मक दायित्व नहीं है। उन्होंने बताया कि इस्कॉन ने पहले ही गजपति महाराज को इस संबंध में जवाब दे दिया है।
इस्कॉन भुवनेश्वर के उपाध्यक्ष तुकाराम दास ने भी कहा कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा सिर्फ सेवापूजा (दैनिक पूजा-पाठ) के लिए इस्कॉन को नियुक्त किया गया है और ट्रस्ट का गठन तथा ‘धाम’ नामकरण पहले ही पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा तय किया गया था। ऐसे में इस्कॉन के पास इसमें दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
इधर, गजपति महाराज से इस मुद्दे पर संपर्क नहीं हो सका, लेकिन ओडिशा सरकार के अधिकारियों ने बताया कि वे अभी भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 6 मई को पत्र लिखकर ‘जगन्नाथ धाम’ नाम हटाने का अनुरोध किया था।
ओडिशा सरकार का मानना है कि पुरी ही असली ‘जगन्नाथ धाम’ है और यह देश के चार धामों में से एक है। इस संदर्भ में पुरी गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज दोनों ने सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट किया है कि ‘जगन्नाथ धाम’ केवल पुरी ही है, न कि कोई और स्थान।
यह विवाद धार्मिक आस्था, परंपरा और क्षेत्रीय गरिमा से जुड़ा हुआ है और ओडिशा सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए उचित कार्रवाई की मांग की है।