नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने माइनिंग लीज मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत दी है। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने फर्जी कंपनियों के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पर झारखंड हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने याचिका के सुनवाई योग्य होने पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि मामले पर हम सुनवाई कर रहे हैं तो फिलहाल हाई कोर्ट आगे सुनवाई नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता या ईडी सोरेन के खिलाफ पहली नजर में केस स्थापित नहीं कर पाए हैं। कोर्ट ने ईडी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आपके पास सोरेन के खिलाफ इतने सबूत हैं तो कार्रवाई कीजिए। आप जनहित याचिकाकर्ता के कंधे पर बंदूक क्यों चला रहे हैं। अगर इतने सबूत हैं तो कोर्ट के आदेश की जरूरत क्यों है।
झारखंड हाई कोर्ट ने तीन जून को हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर याचिका के सुनवाई योग्य होने के मामले पर फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया था कि याचिका दाखिल करते समय हाई कोर्ट की नियमावली का पालन नहीं किया गया है। झारखंड सरकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जिस व्यक्ति ने झारखंड हाई कोर्ट में हेमंत सोरेन के खिलाफ याचिका दायर की है, उसके पिता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ दर्ज एक आपराधिक केस में गवाह थे। उस मामले में शिबू सोरेन को सजा मुकर्रर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मई को हेमंत सोरेन को राहत देते हुए झारखंड हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि वो पहले इस बात की पड़ताल करें कि हेमंत सोरेन के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई योग्य है कि नहीं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मिले माइनिंग पट्टे की ईडी जांच कर रहा है। झारखंड हाई कोर्ट ने ईडी से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी थी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सीलबंद लिफाफे में दाखिल की गई रिपोर्ट को लेकर फैसला किया है। कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में दाखिल रिपोर्ट पर लिये गए आदेश को पलट दिया है।
साभार -हिस