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फर्जी सर्टिफिकेट मामले की जांच क्राइम ब्रांच के सुपुर्द

  • विपक्षी दलों के हमले के बाद राज्य सरकार ने की घोषणा

  •  छापेमारी के दौरान बलांगीर पुलिस को मिले थे 41 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के नाम पर 1000 से अधिक फर्जी प्रमाणपत्र

भुवनेश्वर। बलांगीर में बेपर्दा हुए फर्जी सर्टिफिकेट मामले को लेकर राज्य में विपक्षी दल के हमले के बाद राज्य सरकार ने इसकी जांच की जिम्मेदारी क्राइम ब्रांच को सौंप दी है। इस मामले की गंभीरता से जांच की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने विधानसभा की कार्यवाही के दौरान जमकर हंगामा किया था, जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हुई थी।

आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, इस मामले की जांच अपराध शाखा की एक समर्पित टीम करेगी। वह बलांगीर के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर देश के अन्य हिस्सों में भी जांच करेगी। इस मामले में बलांगीर पुलिस ने मास्टरमाइंड मनोज मिश्र सहित 21 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

छापेमारी के दौरान बलांगीर पुलिस को 41 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के नाम पर 1000 से अधिक फर्जी प्रमाणपत्र मिले थे। सत्यापन रिपोर्ट, सील, डायरी और रबर स्टांप, मोबाइल फोन, बैंक खाते और जमीन के दस्तावेजों के साथ नकली प्रमाण पत्र भी पुलिस ने जब्त किया है। इसके अलावा छापेमारी दल ने मिश्र के कब्जे से 3.67 लाख रुपये नकद भी बरामद किया है। इस रैकेट का भंडाफोड़ तब हुआ, जब कुछ नौकरी के इच्छुक लोगों ने बलांगीर जिले में डाक की नौकरी पाने के लिए फर्जी मार्कशीट और प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया।

राज्य के विपक्षी दलों ने बीजद नेताओं के साथ मुख्य आरोपी के संबंध होने का आरोप लगाते हुए फर्जी प्रमाण पत्र रैकेट को लेकर ओडिशा सरकार पर हमला किया था। भाजपा नेता एवं विपक्ष के मुख्य सचेतक मोहन मांझी ने फर्जी सर्टिफिकेट मामले के मुख्य आरोपी पूर्व मंत्री सुशांत सिंह के साथ फोटो प्रदर्शित कर बड़ी साजिश का आरोप लगाया था।

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