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अर्चना नाग को ओडिशा बार काउंसिल का ‘शो-कॉज’ नोटिस

  • वकील लाइसेंस आवेदन में जानकारी छुपाने का आरोप

भुवनेश्वर। ओडिशा राज्य बार काउंसिल ने मंगलवार को अर्चना नाग को उनके वकील पंजीकरण आवेदन में तथ्यों को छिपाने के मामले में ‘कारण बताओ’ (शो-कॉज) नोटिस जारी किया है। यह नोटिस विशेष रूप से उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी को आवेदन पत्र में छुपाने को लेकर जारी किया गया है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, अर्चना नाग को 10 मई 2025 को बार काउंसिल द्वारा वकील का लाइसेंस प्रदान किया गया था। हालांकि, उनके पंजीकरण फॉर्म की जांच के दौरान यह पाया गया कि उन्होंने जानबूझकर अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी। उनके आवेदन पत्र में कॉलम संख्या 20 में पूछा गया था कि क्या उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला लंबित है, जिसका उत्तर उन्होंने ‘नहीं’ दिया था, जबकि वास्तव में उनके खिलाफ कई मामले अब भी न्यायालय में लंबित हैं।

7 दिन में दें जवाब, अन्यथा एकतरफा कार्रवाई

बार काउंसिल की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि आपको यह सूचित किया जाता है कि आप 10.05.2025 को पंजीकृत हुए हैं और आपका पंजीकरण संख्या O-184-2025 है। पंजीकरण के बाद यह जानकारी प्राप्त हुई है कि आपके विरुद्ध आपराधिक मामले लंबित हैं। आपके द्वारा 02.09.2024 को जमा किए गए आवेदन पत्र की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि आपने जानबूझकर इस महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाया है। अतः आपको यह कारण बताओ नोटिस दिया जाता है कि आपके विरुद्ध कानून के अनुसार उचित कार्रवाई क्यों न की जाए। आपसे अपेक्षित है कि यह स्पष्टीकरण सात दिनों के भीतर प्रस्तुत करें, अन्यथा काउंसिल इस मामले में एकतरफा कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी।

अर्चना नाग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं

इस मामले में अब तक अर्चना नाग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हुई थी। उल्लेखनीय है कि अर्चना नाग का नाम ओडिशा में हाई-प्रोफाइल मामलों और कथित ब्लैकमेलिंग कांडों से पहले ही चर्चा में रहा है। ऐसे में उनके वकील बनने की प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी और महत्वपूर्ण जानकारी छुपाने के आरोपों ने पूरे कानूनी तंत्र और समाज में चिंता पैदा कर दी है। अब यह देखना होगा कि अर्चना नाग बार काउंसिल को क्या जवाब देती हैं और काउंसिल इस मामले में क्या कदम उठाती है। यदि उनका जवाब असंतोषजनक पाया जाता है या समय पर नहीं आता, तो उनका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है या अन्य कानूनी दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।

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