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श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला पहला कदम
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7 मई से 12 मई तक होगा आयोजन
भुवनेश्वर। ओडिशा के बरगड़ जिले में इस वर्ष आयोजित होने वाले बैसाख मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक श्रीश्री नृसिंहनाथ मंदिर ने 5.40 करोड़ रुपये का बीमा कवर प्राप्त किया है। यह पहली बार है जब मंदिर प्रबंधन ने इस प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पहल की है।
बैसाख मेला भगवान नृसिंह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह धार्मिक आयोजन 7 मई से 12 मई तक चलेगा, जिसमें ओडिशा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश से भी हजारों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।
हर श्रद्धालु पर बीमा लागू
मंदिर ट्रस्ट ने 28 मार्च को बीमा लेने का निर्णय लिया था और इसके लिए यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क किया गया। कई दौर की वार्ता के बाद कंपनी ने 1,57,648 रुपये के प्रीमियम पर बीमा पॉलिसी को मंजूरी दी, जो 29 अप्रैल से लागू हो गई है।
ट्रस्ट के प्रतिनिधि अधिवक्ता हीरामणि भोई ने बताया कि मेले के दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश करने वाला हर व्यक्ति इस बीमा के दायरे में आएगा, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो। किसी दुर्घटनावश मृत्यु की स्थिति में प्रत्येक श्रद्धालु को 7.5 लाख रुपये तक का मुआवजा मिलेगा।
गोकुंडा घाट में पवित्र स्नान
मेला बैसाख मास की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक चलता है और इसका विशेष आकर्षण है गोकुंडा घाट में पवित्र स्नान, जिसे श्रद्धालु विशेष रूप से पवित्र और पापों से मुक्ति दिलाने वाला मानते हैं।
प्रशासनिक और चिकित्सा व्यवस्थाएं भी तैयार
मेले में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं की संभावना को देखते हुए मंदिर ट्रस्ट ने पीने के पानी, प्राथमिक चिकित्सा, एवं चिकित्सा शिविरों की व्यवस्था की है। स्थानीय पुलिस बल भी पर्याप्त संख्या में तैनात रहेगा ताकि मेले के दौरान कोई अव्यवस्था न हो।
देश के अन्य बड़े मंदिरों से मेल खाती पहल
इस बीमा पहल को पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा, सबरीमाला मंदिर के मण्डल-मकरविलक्कु सीजन, केरल के अट्टुकल भगवती मंदिर, पुणे के दगडूशेठ गणपति और मुंबई के लालबागचा राजा जैसे बड़े मंदिरों की बीमा पहलों के समान माना जा रहा है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए एक अनुकरणीय कदम
नृसिंहनाथ मंदिर ट्रस्ट की यह पहल ओडिशा में धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के प्रति एक नया मापदंड स्थापित करती है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य धार्मिक संस्थान भी इससे प्रेरणा लेंगे।