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कहा- ठोस कदम जरूरी
भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बीच हाल ही में महानदी जल विवाद को लेकर हुई चर्चा विपक्ष के निशाने पर आ गई है। विपक्ष के उपनेता प्रसन्न आचार्य ने इस बैठक की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब तक छत्तीसगढ़ अपने बैराज निर्माण को नहीं रोकता, तब तक ऐसे संवाद व्यर्थ हैं।
महानदी जल बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच लंबे समय से विवाद जारी है। केंद्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच कई त्रिपक्षीय बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के कथित अड़ियल रुख के कारण कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
प्रसन्न आचार्य ने कहा कि नवीन पटनायक के कार्यकाल के दौरान भी इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष कई बार उठाया गया, लेकिन छत्तीसगढ़ के असहयोगी रवैये के कारण कोई सार्थक हल नहीं निकल सका। उन्होंने कहा कि कल दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस पर चर्चा की, लेकिन जब तक छत्तीसगढ़ अपने बैराज निर्माण को रोकता नहीं, तब तक इस बैठक का कोई अर्थ नहीं है।
सीएम बैठक के बाद भी संदेह बरकरार
शनिवार को भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में मुख्यमंत्री मोहन माझी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बीच यह बैठक हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री माझी ने इसे सकारात्मक बताया और समाधान की उम्मीद जताई। हालांकि, आचार्य ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ को पहले अपनी मंशा साफ करनी होगी और बैराज निर्माण रोककर समाधान की दिशा में कदम उठाना होगा। ओडिशा सरकार कई बार चिंता जता चुकी है कि इन बैराज परियोजनाओं से राज्य में महानदी का जल प्रवाह कम हो जाएगा, जिससे किसानों, पेयजल आपूर्ति और पर्यावरण संतुलन पर गंभीर असर पड़ेगा।
भाजपा का पलटवार
विपक्ष के आरोपों पर भाजपा प्रवक्ता तेजेश्वर परिडा ने कहा, “महानदी विवाद लंबे समय से चल रहा है और बीजद सरकार के दौरान इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ओडिशा के लोग जानते हैं कि पिछले 24 वर्षों में यह विवाद क्यों हल नहीं हुआ और किसने बैराज निर्माण की अनुमति दी। दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों की हालिया वार्ता ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम है।
महानदी जल बंटवारे को लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच लंबे समय से विवाद जारी है। केंद्र, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीच कई त्रिपक्षीय बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के कथित अड़ियल रुख के कारण कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।
प्रसन्न आचार्य ने कहा कि नवीन पटनायक के कार्यकाल के दौरान भी इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष कई बार उठाया गया, लेकिन छत्तीसगढ़ के असहयोगी रवैये के कारण कोई सार्थक हल नहीं निकल सका। उन्होंने कहा कि कल दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस पर चर्चा की, लेकिन जब तक छत्तीसगढ़ अपने बैराज निर्माण को रोकता नहीं, तब तक इस बैठक का कोई अर्थ नहीं है।
सीएम बैठक के बाद भी संदेह बरकरार
शनिवार को भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में मुख्यमंत्री मोहन माझी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बीच यह बैठक हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री माझी ने इसे सकारात्मक बताया और समाधान की उम्मीद जताई। हालांकि, आचार्य ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ को पहले अपनी मंशा साफ करनी होगी और बैराज निर्माण रोककर समाधान की दिशा में कदम उठाना होगा। ओडिशा सरकार कई बार चिंता जता चुकी है कि इन बैराज परियोजनाओं से राज्य में महानदी का जल प्रवाह कम हो जाएगा, जिससे किसानों, पेयजल आपूर्ति और पर्यावरण संतुलन पर गंभीर असर पड़ेगा।
भाजपा का पलटवार
विपक्ष के आरोपों पर भाजपा प्रवक्ता तेजेश्वर परिडा ने कहा, “महानदी विवाद लंबे समय से चल रहा है और बीजद सरकार के दौरान इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ओडिशा के लोग जानते हैं कि पिछले 24 वर्षों में यह विवाद क्यों हल नहीं हुआ और किसने बैराज निर्माण की अनुमति दी। दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों की हालिया वार्ता ऐतिहासिक और सकारात्मक कदम है।