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मुख्यमंत्री मोहन माझी ने रची नेतृत्व की नई परिभाषा

  • साथियों को सामान्य कुर्सी पर बैठा देकर अपनी कुर्सी बदली

  • साधारण कुर्सी पर बैठकर दिया असाधारण संदेश

भुवनेश्वर। नेतृत्व केवल पद और शक्ति तक सीमित नहीं होता, बल्कि सादगी और समानता से भी परिभाषित होता है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने खुर्दा जिले के जंकिया में आयोजित “विकसित गांव, विकसित ओडिशा” कार्यक्रम के दौरान एक छोटे, लेकिन प्रेरणादायक कदम से सामाजिक समानता का गहरा संदेश दिया और लोगों के दिलों को जीत लिया।
कार्यक्रम के मंच पर मुख्यमंत्री के लिए एक आरामदायक विशेष कुर्सी रखी गई थी, जबकि अन्य मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के लिए साधारण कुर्सियाँ थीं। मंच पर आते ही मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी पर बैठे, लेकिन पास में रखी साधारण कुर्सियों को देखकर उन्होंने तुरंत अपनी आरामदायक कुर्सी हटाने और समान साधारण कुर्सी लाने का निर्देश दिया। इसके बाद उन्होंने उसी साधारण कुर्सी पर बैठकर सभी के साथ एकता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
इस घटना को देखकर वहां उपस्थित लोगों दंग रह गए, क्योंकि एक अजीब घटनाक्रम के जरिए मोहन माझी ने एक सकारात्मक संदेश फैला दिया। मुख्यमंत्री का यह निर्णय सादगी और विनम्रता की मिसाल बन गया। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने उनके इस कदम को एक गहरी सामाजिक सोच का प्रतीक माना।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” का नारा का भी जिक्र किया था।
मुख्यमंत्री का यह कदम नेतृत्व की नई परिभाषा गढ़ता है, जहां सादगी और समानता को प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने यह दिखाया कि बदलाव केवल बड़ी नीतियों से नहीं, बल्कि छोटे और सार्थक कार्यों से भी शुरू हो सकता है।
इस घटना ने न केवल जनता के दिलों में मुख्यमंत्री के प्रति सम्मान बढ़ाया, बल्कि समाज में समानता और सहभागिता की एक नई लहर भी पैदा की। उनके इस कार्य से यह स्पष्ट हो गया कि सही नेतृत्व वही है जो अपने साथ चलने वालों को बराबरी का सम्मान दे।

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