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महिला सशक्तिकरण का मिसाल पेश कर रहा जमैका

  • 29% मंत्री महिलाएं हैं, जबकि 26% सांसद भी महिलाएं

  • कंपनियों के निदेशक मंडल में 22% महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य

भुवनेश्वर। जमैका ने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है। इस कैरिबियाई देश में महिलाओं को नेतृत्व और निर्णय लेने वाले पदों पर बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। जमैका में 29% मंत्री महिलाएं हैं, जबकि 26% सांसद भी महिलाएं हैं। इसके अलावा, देश में कंपनियों के निदेशक मंडल में 22% महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य की गई है।
महिला नेतृत्व को मिला बढ़ावा
जमैका न केवल सरकारी पदों पर महिलाओं को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि निजी क्षेत्र में भी महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित कर रहा है।
यह जानकारी जमैका प्रमोशन्स कॉरपोरेशन की अध्यक्ष शुलेट कॉक्स ने दी और वह खुद इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। जमैका प्रमोशन्स कॉरपोरेशन उद्योग, निवेश और वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है, महिलाओं को सशक्त बनाने और उनके नेतृत्व को मान्यता देने के लिए प्रयासरत है।
वह 18वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर आयोजित सत्र “डायस्पोरा दिवास: महिलाओं के नेतृत्व और प्रभाव का जश्न – नारी शक्ति” सत्र को संबोधित कर रहीं थीं।
इस दौरान उन्होंने बताया कि वहां के प्रवासी इंडिया डे मानते हैं।
आज के इस कार्यक्रम में महिला सशक्तिकरण पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर की उपस्थिति में उन्होंने बताया कि
 जमैका महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में समान भागीदारी देने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत के लिए प्रेरणा
जमैका का महिला सशक्तिकरण मॉडल भारत के लिए भी प्रेरणा है। जहां भारत में भी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे प्रयास हो रहे हैं, वहीं जमैका का मॉडल दिखाता है कि जब महिलाएं नेतृत्व में आती हैं, तो समाज में सकारात्मक बदलाव आता है।
महिला सशक्तिकरण के महत्व पर जोर
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल नीतियों और योजनाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए। इसे सामाजिक स्तर पर व्यवहार में लाना जरूरी है। जमैका ने दिखाया है कि जब महिलाओं को समान अवसर मिलते हैं, तो वे समाज को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती हैं।
जमैका का यह प्रयास महिला सशक्तिकरण की दिशा में वैश्विक उदाहरण है और यह दिखाता है कि एक सशक्त समाज की नींव महिलाओं की बराबरी पर ही टिकी होती है।

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