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तृतीय श्राद्धवार्षिकी में अतिथियों के विचार
बालेश्वर – जब कोई समस्या अन्य राजनेता नहीं सुलझा पाते थे, तब लोग अरुण दे के पास समाधान के लिए पहुँचते थे। अरुण दे केवल एक वरिष्ठ राजनेता नहीं थे, वे जीवनभर श्रमिक वर्ग और आम जनता के लिए संघर्ष करते रहे। उनके अवर्तन में बालेश्वरवासी उन्हें और कई वर्षों तक याद रखेंगे। बालेश्वर के इतिहास के वे अर्द्धशताब्दी के गवाह थे, ऐसा आज सुबह स्थानीय सिद्धि कल्याण मंडप-02 में अरुण दे स्मृति परिषद द्वारा आयोजित तृतीय श्राद्धवार्षिकी उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में अतिथियों ने व्यक्त किया।
इस स्मृति सभा में परिषद के कार्यकारी सभापति विष्णुप्रसाद महांति ने अध्यक्षता करते हुए दिवंगत अरुण दे की स्मृति में हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला। कवि श्रीदेव ने अतिथियों को मंच पर आमंत्रित किया। परिषद के वरिष्ठ सलाहकार रंजन बाग ने सभा का संचालन किया और प्रारंभिक जानकारी दी। अन्य विशिष्ट अतिथियों में वरिष्ठ श्रमिक नेता एवं पूर्व सांसद रामचंद्र खुंटीआ, पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार पात्र, ज्योतिप्रकाश पाणिग्राही, डॉ. लेखाश्री सामंत सिंहार, भोगराई विधायक गौतम बुद्ध दास, नीलगिरि के पूर्व विधायक प्रदीप्त पंडा और सुकांत नायक ने उपस्थित होकर दिवंगत नेता अरुण दे के राजनीतिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
इसके अलावा, बालेश्वर पेट्रोलियम एसोसिएशन के संपादक प्रदीप कुमार दास, प्रोफेसर शत्रुघ्न मलिक, गौरी राउत, श्रमिक नेता प्रदीप दास ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर बालेश्वर की माटी को गौरवान्वित करने वाले शिक्षाविद डॉ. प्रहलाद चरण महांति, वरिष्ठ वकील शंभुनाथ मोहांति, वकील शरत महापात्र, शरत चंद्र दास, वकील पुरुषोत्तम विश्वाल, कवि दीप्ति दास, गौरांग पाणिग्राही, डॉ. विजय कुमार पंडा, पत्रकार विप्लव महांति, आकांक्षा बेहेरा, छात्र नेता विभू दत्त परिडा प्रमुख को सम्मानित किया गया।
सभा के अंत में अरुण जेना ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस उपलक्ष्य में सुबह 9 बजे दिवंगत दे के मल्लिकाशपुर स्थित आवास पर उनकी प्रतिमा और उनके पिता गोलकनाथ दे की प्रतिमा पर परिषद के अधिकारियों ने माला अर्पण कर एक शोभायात्रा निकाली, जो विद्युतमार्ग निकट स्थित अरुण दे के ब्रॉन्ज प्रतिमा पर समाप्त हुई। इस दिवसीय कार्यक्रम का नेतृत्व वरिष्ठ कार्यकर्ता अनुसया नायक, पार्षद विश्वजीत महापात्र, विनोद जी, अभिजित दास, भोलनाथ बेहेरा, मधुसूदन महापात्र, देवेंद्र दास, शरत दास, त्रिलोचन बारिक, जयंत महापात्र, यशोदानंदन आश, गोपीकृष्ण मोहांति ने किया।