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ठेके पर शिक्षकों की नियुक्ति का निर्णय गैरकानूनी व अलोकतांत्रिक – भाजपा

  • 20 हजार शिक्षकों को दी जाए नियमित नियुक्ति – अनिल बिश्वाल

  • पूछा-मुख्यमंत्री का नियमित नियुक्ति की घोषणा का क्या हुआ

भुवनेश्वर। राज्य सरकार द्वारा 20 हजार शिक्षकों को ठेके पर नियुक्ति देने का निर्णय पूर्ण रूप से गैरकानूनी व अलोकतांत्रिक है। बीजू जनता दल की सरकार में मालिक बन बैठे गैरओड़िया अधिकारियों ने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को तहस नहस करने की जो साजिश रची है, यह उसका प्रमाण है। 5-टी ट्रान्सफार्मेशनम के नाम पर स्कूल की दीवारों को हरे रंग में पोतने के लिए यदि राज्य सरकार 3410 करोड़ रुपये खर्च कर पा रही है, तो शिक्षकों पैसे देने में राज्य सरकार को दिक्कत क्यों आ रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अनिल बिश्वाल ने पार्टी कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राज्य सरकार के इस निर्णय पर जम कर निशाना साधा और इस निर्णय को वापस लेने की मांग की।

बिश्वाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने गत अक्टूबर में स्वयं घोषणा की थी कि राज्य मे ठेके पर नियुक्ति की प्रथा समाप्त कर दी गई है। इसी तरह इसी साल अप्रैल में फिर से मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि राज्य के स्कूलों में ठेके पर शिक्षक नहीं रहेंगे। अब इसके बाद राज्य सरकार ने फिर से ठेके पर शिक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने जिस बात की घोषणा कर वाह-वाही लूटी अब अपनी बात से क्यों मुकर रहे हैं। मुख्यमंत्री के कार्यालय ने झूठे आश्वासनों के मामले में रिकार्ड किया है। इसलिए भाजपा मांग करती है कि इन शिक्षकों को नियमित नियुक्ति के लिए फिर से विज्ञप्ति जारी किया जाए।

बिश्वाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के सचिव जिलों के दौरा हेलीकेप्टर से करने के लिए यदि पांच सौ करोड़ रुपये की राशि खर्च कर सकते हैं, तो ओडिशा के बच्चों के भविष्य के लिए शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति क्यों नहीं की जा सकती।

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