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बीजद के पर्यवेक्षकों की सूची से सुशांत सिंह का नाम नहीं

  • विपक्षियों ने साधा निशाना

भुवनेश्वर। झारसुगुड़ा विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव हेतु बीजू जनता दल ने जो पर्यवेक्षकों की सूची जारी की है, उसमें राज्य सरकार के प्रमुख मंत्री व विधायकों के नाम हैं, लेकिन पश्चिम ओडिशा के कद्दावर विधायक तथा पूर्व मंत्री सुशांत सिंह का नाम इस सूची में नहीं है। इसे लेकर विपक्षी दलों ने बीजू जनता दल पर निशाना साधा है। विपक्षियों का कहना है कि नव किशोर दास हत्या मामले में बीजद के नेताओं की संलिप्तता को ध्यान में रखकर लोगों के गुस्से से बचने के लिए यह घोषणा की गई है।

कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सुरेश राउतराय ने कहा की नव किशोर दास की हत्या के मामले में सुशांत सिंह के शामिल होने की संभावना है। इस कारण लोगों के आक्रोश से बचने के लिए नवीन पटनायक ने उनके नाम को पर्यवेक्षकों की सूची से बाहर कर दिया।

उधर, भारतीय जनता पार्टी ने भी इस मामले को लेकर नवीन पटनायक सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयनारायण मिश्र ने पहले ही कहा था कि इस मामले में बीजद के नेता शामिल हैं। सुशांत सिंह के नाम को पर्यवेक्षकों की सूची से बाहर कर बीजद ने आज इस बात को सरकारी तौर पर स्वीकार कर लिया है।

उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री नव किशोर दास की हत्या के मामले में हत्या के पीछे बीजद नेताओं का हाथ है। इस कारण झारसुगुड़ा में दास के समर्थक व बीजद के नेताओं में आक्रोश व्याप्त है। नवीन पटनायक उस आक्रोश से बचने के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसीलिए जान-बूझकर सूची से ऐसे नेताओं को ऐसे नेता को बाहर किया गया है।

उन्होंने कहा कि नव किशोर दास की हत्या के बाद जब उनकी दसवीं की क्रिया कर्म हुआ था, तब भी कुछ लोगों को इससे दूर रखा गया था। यह बात प्रमाणित करती है कि इस हत्या में जनता दल के लोगों का हाथ है।

विपक्षी पार्टियों के आरोपों पर बीजद सांसद महेश साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किन कारणों से ऐसा निर्णय लिया है, यह वही बता सकते हैं। इस बारे में विपक्षी क्या कह रहे हैं, इस पर कुछ बोलना ठीक नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि नव किशोर दास की हत्या मामले की जांच चल रही है। विपक्षी लोग बहुत बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में वह प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते हैं।

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