नई दिल्ली। भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान और अनुसंधान के कार्य को बढ़ावा देने के दूसरे अभियान की बुधवार को नई दिल्ली में घोषणा की गई। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने ‘वाणी’ (वाइब्रेंट एडवोकेसी फॉर एडवांसमेंट एंड नर्चरिंग ऑफ इंडियन लैंग्वेजेस) के दूसरे संस्करण की योजना जारी की।एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने इस योजना की जानकारी देते हुए इसके लिए समर्पित एक ऑनलाइन पोर्टल की भी शुरूआत की।
प्रो. सीताराम ने इस अवसर पर बताया कि एआईसीटीई-वाणी योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नवीनतम तकनीकी ज्ञान स्थानीय भाषाओं में भी सुलभ हो। इसके द्वारा भारत की क्षेत्रीय भाषाओं में आधुनिकतम तकनीकी और अनुसंधान के माध्यम से एक मजबूत ज्ञान का आधार विकसित करना है। इस वाणी योजना के अन्तर्गत क्षेत्रीय भाषाओं में शोध पत्रों के प्रकाशन को प्रोत्साहित करते हुए हमारी यह पहल शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच अधिक सहयोग को बढ़ावा देगी। उन्होंने ‘वाणी’ के पहले संस्करण की सफलता को देखते हुए इस वर्ष 200 सम्मेलनों और कार्यशालाओं को 2-2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। इस बार क्षेत्रीय भाषाओं की संख्या भी 12 से बढ़कर 22 कर दी गई है। इसके साथ ही तकनीकी शिक्षा के जिन उभरते क्षेत्रों पर चर्चा की जानी है, उनकी संख्या भी बढ़ाकर 16 कर दी गई है।
एआईसीटीई के उपाध्यक्ष डॉ. अभय जेरे ने शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि क्रिटिकल थिंकिंग और समस्या-समाधान प्राथमिक फोकस होना चाहिए, चाहे जिस भी भाषा का इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने भविष्य के संदर्भ और शोध उद्देश्यों के लिए सभी सम्मेलनों का एक व्यापक संग्रह बनाने का भी सुझाव दिया।
एआईसीटीई-वाणी 2025 की मुख्य विशेषताएं:
वित्तीय सहायता: 200 सम्मेलनों में से प्रत्येक को 2 लाख रुपये मिलेंगे यानि सालाना 4 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
अवधि: सम्मेलन-संगोष्ठी या कार्यशाला 2 से 3 दिन तक चलने चाहिए।
भाषाएं: असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओडिया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू सहित कुल 22 क्षेत्रीय भाषाएं।
प्रमुख क्षेत्र: क्वांटम प्रौद्योगिकी, हाइड्रोजन ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा, एआई और डेटा साइंस, एग्रोटेक और खाद्य प्रसंस्करण, साइबर सुरक्षा समेत तकनीकी शिक्षा में 16 उभरते क्षेत्रों को इसमें शामिल किया गया है।
एआईसीटीई से अनुमोदन प्राप्त संस्थान को 25 मार्च से 24 अप्रैल के बीच ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। संस्थानों का चयन परिषद के मानदंडों के आधार पर किया जाएगा, जिससे सम्मेलनों, सेमिनारों या कार्यशालाओं के आयोजन में गुणवत्ता और प्रासंगिकता सुनिश्चित होगी।
साभार – हिस
