नई दिल्ली । केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने असम में लोअर सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना का दौरा करने के बाद मंगलवार काे समीक्षा बैठक की। इस दाैरान उन्होंने एनएचपीसी के अधिकारियों और प्रमुख कार्यों के ठेकेदारों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए सभी को परियोजना को निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए निर्देश दिया। ऊर्जा मंत्री आरके सिंह साेमवार को अरूणाचल प्रदेश व असम में स्थित 2000 मेगावाट क्षमता वाली सुबनसिरी निचली पनबिजली परियोजना का दौरा कर निर्माण गतिविधियों का जायजा लिया था। असम के सुबनसिरी परियोजना निर्माण स्थलों, बांध, सेवन संरचनाओं और असम के गेरूकामुख में डायवर्जन सुरंग का निरीक्षण किया था।
बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री ने कहा कि सुबनसिरी के अलावा अरुणाचल प्रदेश सरकार ने 13 परियोजनाओं के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। जिनकी जलविद्युत क्षमता 13,000 मेगावाट होगी। ये परियोजनाएं राज्य में 1.4 लाख करोड़ रुपये रुपये का निवेश लाएंगी। इसी प्रकार जम्मू और कश्मीर में पांच जल विद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं इसलिए जम्मू-कश्मीर में हमारी जलविद्युत क्षमता भी आगे बढ़ रही है और बहुत सारा निवेश आ रहा है।
मंत्री ने कहा कि जल विद्युत से चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा संभव नहीं है। इसलिए जलविद्युत परियोजनाओं का महत्व बढ़ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास नवीकरणीय ऊर्जा के बीच सौर और पवन भी हैं परंतु पनबिजली के बिना चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा संभव नहीं है। उन्होंने देश की उपलब्ध जल विद्युत क्षमता का बेहतर दोहन करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हमारी जल विद्युत क्षमता 47,000 मेगावाट है, जो हमारी उपलब्ध जल विद्युत क्षमता का 35 प्रतिशत है। विकसित देशों ने अपनी उपलब्ध जलविद्युत क्षमता का लगभग 70 – 80 प्रतिशत ही उपयोग किया है।
सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना के दौरे में मंत्री के साथ केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल, एनएचपीसी सीएमडी आरके विश्नोई, संयुक्त सचिव (हाइड्रो), विद्युत मंत्रालय मोहम्मद अफ़ज़ल, एनएचपीसी निदेशक (परियोजनाएं) विश्वजीत बसु, एनएचपीसी निदेशक (तकनीकी)आर के चौधरी और सुबनसिरी लोअर प्रोजेक्ट के एचओपी राजेंद्र प्रसाद भी मौजूद रहे।
साभार -हिस