नई दिल्ली, विश्वप्रसिद्ध नृत्यांगना डॉ. सरोजा वैद्यनाथन का गुरुवार सुबह 4 बजे निधन हो गया। पद्म भूषण से अलंकृत 86 वर्षीय सरोजा वैद्यनाथन संस्कार भारती की दिल्ली प्रांत की अध्यक्षा भी थीं। डॉ. सरोजा ने वर्ष 1974 में ‘गणेशा नाट्यालय’ की स्थापना की, जहां नृत्य के अलावा छात्रों को तमिल, हिंदी और कर्नाटक संगीत भी सिखाया जाता है। उन्होंने देश-विदेश के अपने शिष्यों को भरतनाट्यम की समग्र समझ के साथ ही भारतीय कला-संस्कृति-परंपराओं से भी परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
डॉ. सरोजा कला तथा साहित्य के क्षेत्र में काम करने वाली अखिल भारतीय संस्था ‘संस्कार भारती’ की दिल्ली प्रांत की 2021 में अध्यक्ष बनीं और अस्वस्थ होने से पहले तक सक्रिय रूप से संस्था की गतिविधियों में अपना सतत मार्गदर्शन और योगदान करती रहीं। कला और नृत्य के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2002 में पद्मश्री और 2013 में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया था। साथ ही उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, दिल्ली सरकार का साहित्य कला परिषद सम्मान और अन्य अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से भी अलंकृत किया गया था। वर्ष 2006 में उन्हें ‘भारत कला सुडार’ की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।
डॉ. सरोजा का जन्म 1937 में बेल्लारी (कर्नाटक) में हुआ था। उन्होंने भरतनाट्यम में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण चेन्नई के सरस्वती गण निलयम में प्राप्त किया और बाद में तंजावुर के गुरु कट्टुमनार मुथुकुमारन पिल्लई के यहां अध्ययन किया। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पी. सम्बामूर्ति के शिष्यत्व में कर्नाटक संगीत का भी अध्ययन किया और इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से नृत्य में डी.लिट् किया था।
डॉ. सरोजा के माता-पिता दोनों लेखक थे। उनकी माताजी कनाकम धर्मराजन तमिल की प्रसिद्ध लेखिका थीं। डॉ. सरोजा का विवाह बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी वैद्यनाथन से हुआ था। इस दंपति के एक पुत्र कामेश हैं; जबकि पुत्रवधू रमा वैद्यनाथन भी अंतरराष्ट्रीय ख्याति की प्रसिद्ध भरतनाट्यम कलाकार हैं।
‘संस्कार भारती’ दिल्ली प्रांत की कार्यकारिणी और समस्त सदस्यों ने कलाधर्मी डॉ. सरोजा वैद्यनाथन को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
साभार -हिस