पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने आज कहा कि पटना उच्च न्यायालय बधाई का पात्र है, जिसने बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित जन गणना पर रोक लगा दी है। जाति आधारित जन गणना एक महा अपराध है। भारत में हजारों जातियां और लाखों उप-जातियां है। इसके कारण पूरा देश लाखों जातियों में बंट जायेगा।
शान्ता कुमार ने यहां जारी एक बयान में कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सरकार ने हमेशा के लिए भारत को गुलाम रखने के लिए दो नीतियां बनाई थी। हिन्दू मुसलमान को लड़ाना और जातियों के आधार पर समाज को बांटना। 1931 में अंग्रेज सरकार ने इसी उद्देश्य से जाति आधारित जन गणना करने का निर्णय किया परन्तु महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे देश ने उसका विरोध किया। अंग्रेज सरकार वह जन गणना नहीं करवा सकी परन्तु अंग्रेज सरकार हिन्दू-मुसलमान को बांटने में सफल हुई और 1947 में भारत का बंटवारा हुआ। लाखों लोगों का कत्लेआम हुआ और लाखों विस्थापित हुए।
शान्ता कुमार ने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने भी एक बार जाति आधारित जन गणना करवाई थी। हालांकि, उसका घोर विरोध होने के कारण उसके परिणाम की घोषणा नहीं कर पाई।
उन्होंने कहा कि गुलाम भारत में गांधी जी से लेकर नेहरू तक के नेतृत्व में पूरा देश जाति आधारित जन गणना का विरोध करता रहा। दुर्भाग्य से आज वही कांग्रेस जातिगत जन गणना का समर्थन कर रही है। आज की कांग्रेस केवल वोट की राजनीति के लिए ऐसी मांग कर रही है।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डा. आंबेडकर ने संविधान सभा में एक ऐतिहासिक भाषण में कहा था, ‘‘भारत में जाति प्रथा राष्ट्र विरोधी है, इससे परस्पर द्वेश पैदा होता है। यदि भारत को एक राष्ट्र बनाना है तो जाति प्रथा को समाप्त करना पड़ेगा।’’ डा. आंबेडकर के नाम पर वोट मांगने वाले उनको भूल गये।
शान्ता कुमार ने कहा कि भारत का इतिहास साक्षी है कि भारत हजाराें साल तक केवल इसी कारण गुलाम रहा कि पूरा देश जातियों और प्रान्तों में बंटा था। यदि देश एक होता तो भारत कभी भी गुलाम नहीं होता। यह बड़े दुख की बात है कि जो अंग्रेज जातियों में देश को बांट कर देश की एकता को बर्बाद नहीं कर सका। अंग्रेज के उस अधूरे काम को अब नीतीश कुमार और कांग्रेस पूरा कर रही है।
साभार -हिस