श्री महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी के दिन नागपंचमी पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर श्री नागचन्द्रेश्ववर मंदिर के पट साल में एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खुलते है। महाकाल मंदिर के गर्भगृह के उपर ओंकरेश्वर मंदिर और उसके भी शीर्ष पर श्री नागचन्द्रेश्वर का मंदिर प्रतिष्ठापित है। श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर में ११वीं शताब्दीं की एक अद्भुत प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा में नागचन्द्रेश्वर स्वयं अपने सात फनों से सुशोभित हो रहे हैं। साथ में शिव पार्वती के दोनों वाहन नंदी व सिंह भी विराजित है। मूर्ति में श्री गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर श्री कार्तिकेय की मूर्ति व ऊपर की ओर सूर्य-चन्द्रमा भी अंकित है। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य व कलात्मकता का उदहारण है। भगवान के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए है। कहते हैं कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। ऐसी मान्यता है कि, उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
इस प्रतिमा के दर्शन के उपरांत अंदर प्रवेश करने पर श्री नागचन्द्रेश्वर की मुख्य प्रतिमा (शिवलिंग) के दर्शन होते है।
नाग पंचमी की पूर्व रात्रि 12 बजे श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान के पट खुलते हैं। पट खुलने के बाद विशेष पूजा -अर्चना होती है।
श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान की होती है त्रिकाल पूजा
नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी। रात्रि १२ बजे पट खुलने के पश्चात श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरी जी व कलेक्टर और अध्यक्ष श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा प्रथम पूजन व अभिषेक किया जाता है। अगले दिन अपरान्ह्: १२ बजे अखाड़े द्वारा पूजन होता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात श्री नागचन्द्रेश्वर भगवान की पूजन आरती श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा की जाती है। पूजन के बाद मंदिर के पट रात्रि 12 बजे बंद हो जाते हैं। इस प्रकार श्री नागचन्द्रेश्वर के पट 24 घण्टे खुले रहते हैं।
साभार पी श्रीवास्तव