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युवा आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने में पूर्ण योगदान दें – गणेशीलाल

  • कीस डीम्ड विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह आयोजित

  • राज्यपाल समेत अन्य तीन विभूतियां मानद डाक्टरेट की डिग्री से सम्मानित

अशोक पाण्डेय,  भुवनेश्वर

भुवनेश्वर स्थित विश्व के प्रथम तथा सबसे बड़े आदिवासी आवासीय कीस डीम्ड विश्वविद्यालय का प्रथम दीक्षांत समारोह वर्चुअल रुप में आयोजित किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि ओडिशा के महामहिम राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल ने अपने सारगर्भित संबोधन में विश्वविद्यालय के सभी डिग्रीधारकों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. उन्होंने यह भी कहा कि आदिवासी समुदाय के बच्चों में मेधा की कमी नहीं है. इसलिए वे सबसे पहले “लोकल फार वोकल” बनें. साथ ही साथ “युवा आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने में पूर्ण योगदान दें.

“अपने संबोधन में उन्होंने कीट-कीस द्वय डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के प्राणप्रतिष्ठाता प्रोफेसर अच्युत सामंत की ऐतिहासिक शैक्षिक पहल कीट-कीस के लिए उन्मुक्त कण्ठ से उनकी सराहना की और कीस को पूरे विश्व के आकर्षण का केन्द्र बताया. विश्वविद्यालय की ओर से राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल को मानद डाक्टरेट की डिग्री प्रदान की गई.

इस अवसर पर श्री गिरीश चन्द्र मुर्मू, भारत सरकार के कम्प्ट्रोलर एण्ड अडिटर जेनेरल, डा. स्वरुप रंजन मिश्र, केनिया केस्सेस के सांसद तथा केनिया मेडीहील समूह के संस्थापक चेयरमैन और अमरीका न्यूयार्क में कार्यरत ओडिया फैशन-कस्ट्यूम डीजाइनर श्री विभू महापात्र को भी उनकी उल्लेखनीय असाधारण सेवाओं के लिए कीस डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर की ओर से मानद डाक्टरेट की डिग्री प्रदान की गई.

अपने स्वागत-संबोधन में कीट-कीस के प्राणप्रतिष्ठाता तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्युत सामंत ने अपने कीस डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर की ओर से मुख्य अतिथि ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल, सम्मानित अतिथि श्री गिरीश चन्द्र मुर्मू, डा. स्वरुप रंजन मिश्र, श्री विभू महापात्र, देश-विदेश के समस्त आमंत्रित विशिष्ट मेहमानों, विश्वविद्यालय के समस्त आला अधिकारियों, संकाय सदस्यों, अपने समस्त हितैषियों, शुभचिंतकों तथा विश्वविद्यालय से पहली बार डिग्री प्राप्त करनेवालों का हार्दिक अभिवादन करते हुए कीस की पिछले लगभग 30 सालों की संघर्षपूर्ण कामयाब यात्रा के विषय में संक्षेप में बताया.

उन्होंने यह भी बताया कि कीस आदिवासी सशक्तिकरण, महिलाशक्तिकरण, केजी कक्षा से लेकर पीजी कक्षा तक निःशुल्क उत्कृष्ट तालीम प्रदान करने, प्रतिवर्ष तीस हजार से भी अधिक अनाथ, बेसहारे आदिवासी बच्चों को कीस के माध्यम से स्वावलंबी बनाकर उन्हें समाज के विकास की मुख्यधारा के साथ जोड रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कीस की असाधारण उपलब्धियों को ध्यान में रखकर भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2017 में कीस को भारत के प्रथम आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया जो आज विश्व का प्रथम तथा सबसे बडा आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय बन चुका है जिससे प्रोफेसर अच्युत सामंत का उत्साह तथा मनोबल दोनों बढ़ गया है.

अपने कीस डाम्ड विश्वविद्यालय की प्राथमिकता का जिक्र करते हुए उन्होंने आदिवासी संस्कृति को और अधिक विकसित करने के लिए अधिक से अधिक अनुसंधान आदि की बात कही. आज जो कीस डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर का प्रथम दीक्षांत समारोह वर्चुअल मोड पर विश्व स्तर पर आयोजित हो रहा है उसे देखकर वे बहुत प्रसन्न हैं. उन्होंने बताया कि कीस की स्थापना 1992-93 में किस प्रकार एक किराये के मकान में मात्र 125 बच्चों से उन्होंने आरंभ की थी वह दिन भी उनको याद है और आज लगभग उतने ही बच्चे कीस डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के प्रथम दीक्षांत समारोह में डिग्री ले रहे हैं.

दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल के साथ-साथ सम्मानित अतिथिगण के रुप में श्री गिरीश चन्द्र मुर्मी, डा. स्वरुप रंजन मिश्र, श्री विभू महापात्र, कीस डीम्ड विश्वविद्यालय की ओर से विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री सत्य एस. त्रिपाठी, प्रतिकुलाधिपति डा.उपेन्द्र त्रिपाठी, कुलपति प्रोफेसर दीपक कुमार बेहरा, प्रति उपकुलपति प्रोफेसर पितबास साहू तथा कुलसचिव डा.प्रसन्न कुमार राउतराय आदि ने संबोधित किया.

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