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मधु सेतु पर रौशनी की मांग को लेकर अनोखा प्रदर्शन, स्थानीय लोगों ने जली लालटेन के साथ दिया धरना

  • चार साल बाद पुल पर नहीं लगी लाइट

  • दुर्घटनाएं और लूटपाट की घटनाएं बढ़ी

कटक। कटक जिले के चौद्वार प्रखंड के कयालपड़ा ग्राम पंचायत के लोगों ने महानदी नदी पर बने मधु सेतु पुल पर प्रकाश की व्यवस्था की मांग को लेकर अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया। प्रशासन की ओर से चुप्पी साधे रहने के कारण शनिवार की रात लोगों ने अपना विरोध जताने के लिए यह अनोखा तरीका अपनाया।

बताया जाता है कि 150 करोड़ रुपये की लागत से सरकार ने महानदी पर मधु सेतु पुल का निर्माण किया। निर्माण कार्य पूरा होने में चार साल का समय लगा। पुल को तब आधिकारिक तौर पर जनता के लिए खोल दिया गया था, लेकिन कथित तौर पर पुल को प्रकाश की व्यवस्था करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। प्रशासन की उदासीनता के कारण रात में पुल पूरी तरह से अंधेरे में रहता है। इससे यह असामाजिक तत्वों के लिए एक सुरक्षित स्थल बन गया है।

प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि इस पुल पर अंधेरे के कारण आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं और स्नैचिंग जैसे अपराध हो रहे हैं। इस कारण सूर्यास्त के बाद लोग इस पुल पर आने-जाने में असुरक्षित महसूस करते हैं। हमने पुल पर रोशनी की व्यवस्था के लिए कदम उठाने की कई बार मांगें की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

इससे मजबूर होकर ग्रामीणों ने शनिवार को अपनी मांग के प्रति ध्यानाकर्षण के लिए एक अनूठा तरीका चुना। कल शाम को सैकड़ों ग्रामीण हाथों में लालटेन लिए पुल पर आ गये। उन्होंने पुल पर धरना प्रदर्शन किया।

एक आंदोलनकारी ग्रामीण ने कहा कि 150 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से इस पुल को बने हुए चार साल बीत चुके हैं, लेकिन पुल को रोशन करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। हमने पंचायत की ओर से कुछ व्यवस्था की थी और बल्ब और सीसीटीवी कैमरे लगाये थे, लेकिन स्थिति फिर वही है। चूंकि बालियात्रा और बड़ा ओशा आने वाला है। इसलिए हम रोशनी व्यवस्था करने के लिए जल्द कदम उठाने की मांग करते हैं। यदि हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हम अपना आंदोलन तेज करेंगे।

एक अन्य महिला आंदोलनकारी ने कहा कि मेरे दो भतीजे अंधेरे के कारण इस पुल पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए। हाल ही में अस्पताल में दो महीने के इलाज के बाद उन्हें छुट्टी मिल गई है। पुल पर हादसों के अलावा तमाम तरह की आपराधिक गतिविधियां हो रही हैं।

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