Home / National / ये है दुनिया का अनोखा मंदिर, जहां होती है भगवान शंकर के मुख की पूजा

ये है दुनिया का अनोखा मंदिर, जहां होती है भगवान शंकर के मुख की पूजा

देश-दुनिया में भगवान शंकर के बहुत से मंदिर स्थापित हैं जहां भोलेनाथ अनोखे अंदाज़ में विराजमान हैं। इन्ही में से एक है पंच केदार में शामिल रुद्रनाथ मंदिर जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। बता दें भगवान शंकर का ये मंदिर समुद्रतल से 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर की सबसे खास बात तो ये है कि यहां भगवान शिव के मुख की पूजा होती है। इतना ही नहीं, इससे भी खास बात ये है कि भगवान शिव के बाकि के शरीर की पूजा नेपाल के काठमांडू में की जाती है। जी हां, यही कारण है कि ये मंदिर न केवल देश में बल्कि विदशों में अपनी इस खासियत के कारण ही काफी प्रचलित है।

बता दें इस मंदिर को पशुपतिनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है चूंकि रुद्रनाथ मंदिर के अन्य मंदिरों से अलग है, इसलिए दूर दूर से लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं। जहां शिव जी के लिंग रूप की पूजा होती है वहीं इस मंदिर में केवल उनके मुख की पूजा होती है। मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव के मुख को ‘नीलकंठ महादेव’ के नाम से जाना जाता है।

पंचकेदार में है रुदनाथ मंदिर का नाम शामिल-
कथाओं की मानें तो महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने श्री कृष्ण में जाकर उनसे इसका उपाय जानना चाहा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को भगवान शंकर की शरण में जाने की सलाह दी। ऐसी कथाएं हैं कि क्योंकि पांडवों ने अपने ही कुल का नाश किया था इसलिए भगवान शिव पांडवों से नाराज थे। इसलिए जब पांडव वाराणसी पहुंचे तो भगवान शिव गुप्तकाशी में आकर छिप गए, जब पांडव गुप्तकाशी पहुंचे तो भोलेनाथ केदारनाथ पहुंच गए और बैल का रूप धारण कर लिया। कहा जाता है यहां पांडवों ने भगवान शिव से आर्शीवाद प्राप्त किया।

ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं कि जब भगवान शंकर बैल के रूप में अंतर्ध्यान हुए तो उनके धड़ का ऊपरी हिस्सा “काठमाण्डू” में प्रकट हुआ, जिसे पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाता है। तो वहीं भगवान शिव की भुजाओं का तुंगनाथ में, नाभि का मध्यमाहेश्वर में, बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप का श्री केदारनाथ में पूजन होता है। इसके अलावा कहा जाता है भगवान शिव की जटा कल्पेश्वर में प्रकट हुई और मुख रुद्रनाथ में। इन्हीं पांच स्थानों को “पंचकेदार” कहा जाता है। इन्हीं में से एक है ‘रुद्रनाथ मंदिर’।

दुर्लभ पाषाण मूर्ति के होते हैं दर्शन
बताय जाता है रुद्रनाथ मंदिर के पास ही विशाल प्राकृतिक गुफा में बने मंदिर में भगवान शिव की दुर्लभ पाषाण मूर्ति के दर्शन होते हैं। जिसमें भगवान शिव गर्दन टेढ़े किए हुए अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। लोक मत है कि देवों के देव महादेव की यह दुर्लभ मूर्ति स्वयंभू है और आज तक इसकी गहराई का कोई पता नहीं लग सका.

साभार पी श्रीवास्तव

Share this news

About desk

Check Also

महाराष्ट्र में दो सड़क हादसों में तीन की मौत, 28 घायल

मुंबई। महाराष्ट्र में हिंगोली और बुलढ़ाणा जिले में शनिवार को हुए दो सड़क हादसों में …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *