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​देश को मिली 11वीं ​महिला ​फाइटर पायलट ​माव्या सूदन

  •  बचपन में देखा था ​लड़ाकू विमान उड़ाने का ​सपना, कठिन संघर्षों से अब हुआ पूरा

  • ​ ​वायुसेना में ​अब तक ​10 महिला ​पायलटों को फाइटर जेट उड़ाने की ट्रेनिंग मिली​​

नई दिल्ली, ​ जम्मू संभाग के ​​सीमावर्ती राजौरी जिले के लंबेड़ी की रहने वाली ​​माव्या सूदन अब देश की 1​1​वीं ​​फाइटर पायलट बन गईं हैं। वह जम्मू-कश्मीर की​​ पहली एयर फोर्स महिला पायलट हैं जिन्होंने तेलंगाना की डुंडिगल वायुसेना अकादमी हैदराबाद में पासिंग आउट परेड में भाग लेकर​​ पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाके राजौरी का नाम रोशन किया है।​ पासिंग आउट परेड में​​ ​फ्लाइंग और ग्राउंड ड्यूटी शाखाओं के लिए 161 फ्लाइट कैडेट्स ​शामिल हुए जिसमें माव्या इकलौती महिला फाइटर पायलट थीं​​।
देश की 1​1​वीं और जम्मू कश्मीर की पहली एयर फोर्स महिला फाइटर पायलट माव्या सूदन ने ​शनिवार को ​​तेलंगाना की डुंडिगल वायुसेना अकादमी में ​हुई ​पासिंग आउट परेड में ​हिस्सा लेने के बाद अपने अन्य सहपाठियों के साथ खुशियां मनाईं​।​ वैसे तो ​पासिंग आउट परेड में ​​फ्लाइंग और ग्राउंड ड्यूटी शाखाओं के लिए 161 फ्लाइट कैडेट्स ​शामिल हुए लेकिन ​फाइटर पायलट​ के रूप में माव्या ​सूदन ​इकलौती थीं।​ पाकिस्तान के ​सीमा​ से लगे जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के लंबेड़ी की रहने वाली​ 23 साल की ​​माव्या​ ने ​जम्मू के कार्मल कान्वेंट स्कूल में अपनी शिक्षा हासिल की है​​।​ ​माव्या बचपन से ​ही ​पढ़ने में होशियार थीं​ और तभी से उन्होंने भारतीय ​वायुसेना में ​जाने की ठान ली थी​।​ इसी लक्ष्य के साथ माव्या ने चंडीगढ़ के डीएवी​ कालेज से पालिटिकल साइंस विषय में ​​ग्रेजुएशन किया​​​​​​।
​उनके परिवार वालों का कहना है कि​ भारतीय वायुसेना में शामिल ​होकर ​​​लड़ाकू विमान उड़ाने का ​सपना ​सच करने के लिए वह ​​ग्रेजुएशन​ के बाद​ 2020 में वायुसेना ​की ​सामान्य प्रवेश परीक्षा​ में शामिल हुईं​।​ पहली ही बार में परीक्षा में पास ​होने पर परिवार वाले भी समझ गए कि अब माव्या का सपना पूरा होकर रहेगा​​।​​ आखिरकार ​​तेलंगाना की डुंडिगल वायुसेना अकादमी ​से पास आउट होने के बाद अब माव्या लड़ाकू विमानों से आसमान छूकर ​अपने बचपन का सपना साकार करेंगी​।​​ ​कल जब ​उन्होंने एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया को पासिंग आउट परेड में सैल्यूट किया तो जम्मू​-​कश्मीर ही नहीं, बल्कि देश का नाम रोशन हो गया।
बहन तान्या सूदन ने बताया कि​ पाकिस्तान की सीमा ​के करीब घर होने के नाते जब भी विषम हालात में किसी मासूम की हत्या होती थी तो वह विचलित हो जाती थी​​।​ तभी उन्होंने संकल्प लिया था कि वह एक दिन ​फाइटर पायलट बनकर ​दुश्मन देश को जरूर ​सबक सिखायेगी​​​। उसकी तमन्ना राफेल से उड़ान भरकर पाकिस्तान को एक बार सबक ​सिखाने की है।​ ​तान्या ​भी ​चाहती ​हैं कि उनकी बहन एक दिन राफेल फाइटर प्लेन उड़ाकर ​खुद को साबित करे कि ​वह ​देश की महिला​ओं से कम ​नहीं हैं। फाइटर पायलट बनने के लिए ​अब माव्या की ​अलग​-​अलग फेज में ट्रेनिंग ​शुरू होगी। पहले उन्हें अकेले लड़ाकू विमान उड़ाने के​​ लिए तैयार किया जाता है​​।​ फिर ​उसके बाद युद्ध की स्थिति में हथियार के साथ​ विमान का इस्तेमाल ​करने की ट्रेनिंग ​दी जाती है​​​​​​​​​​​​।
भारतीय वायुसेना ने वर्ष 2016 में ​’​फ्लाइंग ब्रांच की लड़ाकू स्ट्रीम में महिला एसएससी अधिकारियों के प्रवेश​’​ के लिए योजना ​शुरू ​की थी।​​​ ​भारतीय ​​वायुसेना में अभी कुल 10 महिला फाइटर पायलट हैं, जिन्हें सुपरसॉनिक जेट उड़ाने की ट्रेनिंग मिली ​है​​​​​​​​​​​​।​​​ ​जून​,​ 2016 में पहली बार तीन महिला लड़ाकू विमान पायलटों भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह को लड़ाकू बेड़े में शामिल किया गया था​​।​ सितम्बर, 2020 में ​​मिग उड़ाने का अच्छा अनुभव ​रखने वाली फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह​ को ​देश ​का बाहुबली विमान राफेल उड़ाने​ के लिए चुना गया है​।​​ ​वे अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद​ राफेल की पहली स्क्वाड्रन अंबाला में 17 ‘गोल्ड​न ऐरो’ में ​शामिल होंगी​​।
साभार – हिस

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