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मुंबई में 53 पत्रकार कोरोना पाजिटिव पाये गये

  • अपनी कुर्बानी देकर भी मीडियाकर्मी निभाते हैं अपना धर्म

  • सोनिया गांधी कर रही थीं मीडिया के विज्ञापन में कटौती की मांग

  • दान के लिए बड़ी-बड़ी कवरेज की उम्मीदें, लेकिन विज्ञापन देने में तेरह-बाइस

हेमन्त कुमार तिवारी, मुंबई/भुवनेश्वर

देश में अनदेखी के बीच कोरोना वायरस को लेकर जनता तक सूचनाएं पहुंचा रहे मीडिया के 53 रणबांकुड़े (पत्रकार) कोरोना पाजिटिव पाये गये हैं. इन सभी को क्वारेंटाइन में रखा गया है. खबर के मुताबिक, फोटोग्राफर्स, वीडियो जर्नलिस्ट और संवाददाता सहित 171 पत्रकारों का टेस्ट किया गया था. अधिकांश पत्रकारों में बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए थे, लेकिन इनमें से 53 पत्रकार पाजिटिव पाये गये हैं. यह जानकारी बृहन्मुंबई नगर निगम की ओर से दी गयी है.

उल्लेखनीय है कि देश में जब भी कुछ संकट आता है तो सबसे पहले मीडिया के विज्ञापनों पर कैंची चलायी जाती है. सोनिया गांधी ने भी मीडिया के विज्ञापनों पर रोक लगाने की सलाह दी है, लेकिन इन सबके बावजूद मीडिया संस्थान ही एकलौता हैं, जो किसी भी संकट से नहीं घबड़ाते हैं और इनके रणबाकुड़े इसकी गरिमा आज भी बनाए हुए हैं. आज देश में प्रचार-प्रसार के लिए सबकी निगाहें मीडिया पर टिकी रहती हैं, लेकिन जब इसके वित्त पोषण की बात आती है, तो औकता दिख जाती है.

आज देश में कोरोना वायरस कहर बरपा रहा है. मीडियाकर्मी अपनी जान पर खेलकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं, जबकि इनके लिए न सरकार ने कोई बीमा कवर करने की घोषणा की और न ही सभा-संस्थाएं और उद्योग ने सहयोग का हाथ बढ़ाया है. आज सरकार के लिए करोड़ों-करोड़ों रुपये अनुदान में दिये जा रहे हैं और इसकी पब्लिसिटी मीडिया में खोजी जा रही है. छोटे-छोटे मीडिया संस्थानों से बड़े कवरेज की उम्मीदें पाली जा रही हैं, लेकिन दान की गयी राशि का एक फीसदी हिस्सा भी मीडिया संस्थानों को बतौर विज्ञापन नहीं दिया जाता है कि ये संस्थान भी अपने कर्मचारियों के लिए मजबूती से कुछ कर सकें. यहां तक कि एक कप चाय की शरियत तक वसूलने की उम्मीदें रखी जाती हैं.

इण्डो एशियन टाइम्स के पास भी लगभग सौ कंपनियों की ऐसी खबरें प्रकाशित करने के लिए आयीं, जिसमें उन्होंने अपने लेटर पैड पर लिखकर दिया है कि कोरोना से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को करोड़ों-करोड़ों रुपये दान में दिये गये हैं, लेकिन किसी एक कंपनी ने स्वतः चलकर यह नहीं रूचि नहीं दिखायी कि एक विज्ञापन पत्रकारों के हितों के ध्यान में रखकर दिया जाये, लेकिन इण्डो एशियन टाइम्स के सहयोगी ओडिशा में बेहतर कवरेज प्रदान कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि 130 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 80 फीसदी से अधिक पाठक लघु और मध्यम अखबार, टीवी चैनल और समाचार पोर्टल के पास हैं.

न्यूज सोर्स-आईपीजे न्यूज

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