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विश्व भारती के दीक्षांत समारोह में बोले राजनाथ सिंहः आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं युवा

कोलकाता, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला स्थित गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्व भारती के दीक्षांत समारोह में शुक्रवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मजबूत और आत्मनिर्भर भारत का आधार कोई और नहीं बल्कि युवा हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा सदियों पुरानी है और इसी का अनुसरण कर देश नई ऊंचाइयों को छू सकता है।

उन्होंने भारत को विश्व गुरु के तौर पर स्थापित करने में युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि नवाचार, अत्याधुनिक तकनीकी और शोध, नई कंपनियों और स्टार्टअप के जरिए युवा देश को नई दिशा देंगे। युवाओं को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के दर्शन से प्रेरित होने की नसीहत देते हुए कहा कि गुरुदेव ने पश्चिम के राष्ट्रवाद का जो स्वरूप देखा था, उसने इंपेरिएलिज्य और मिलिट्रिज्म को जन्म दिया, जिसका परिणाम विश्वयुद्ध की विभीषिका के रूप में हमारे सामने आया। विश्व-भारती, अपने नाम के अनुरूप ही, अपने और गुरुदेव के पौरुषता को स्पष्ट करती है। विश्व भारती एक ऐसा शब्द है, जिसमें ‘विश्व’ भी है, और ‘भारती’ भी है। यानी समस्त विश्व के आचार-विचार और व्यवहार के साथ भारत के संबंधों का विकास और विश्व की सभ्यताओं से सर्वश्रेष्ठ चीजों का आदान-प्रदान।
राजनाथ सिंह ने दावा किया कि वर्ष 2047 तक भारत दुनिया का सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला सबसे मजबूत देश बनकर उभरेगा। युवाओं को विशेष तौर पर प्रेरित करते हुए राजनाथ ने कहा, “भारत की प्रगति का रास्ता आप लोगों से ही होकर जाता है और आप लोग जितने सशक्त होंगे, हमारा देश भी उतना ही सशक्त होगा, इसका हमें ख्याल रखना है। मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में आप में से भी अनेक छात्र अपनी मेहनत, लगन और संस्कारों के बल पर कुछ नया और अलग करेंगे और दुनिया भर में अपना व देश का नाम रोशन करेंगे। जीवन में ज्ञान का जितना महत्व है उतना ही हमारे मूल्यों का भी महत्व है। आपको जीवन मूल्यों के प्रति हमेशा समर्पित होना चाहिए। आपके जीवन मूल्य ही आपके चरित्र को बनाते हैं। आप सभी अब कॉलेज परिसर से जिंदगी के परिसर में प्रवेश करने जा रहे हैं। आपको यह हमेशा याद रखना है कि ‘विश्व-भारती’ का नाम आपके अभिभावक के नाम की भांति ही हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया है।

उन्होंने आगे कहा, “मेरी कामना है कि जैसे कभी गुरुदेव ने मनुष्यता को ‘विश्व-भारती’ जैसा संस्थान दिया था, उसी तरह ‘विश्व-भारती’, मनुष्यता को एक ‘गुरुदेव’ प्रदान करे। गुरुदेव जैसा वह व्यक्तित्व कहीं और से नहीं, बल्कि आपके बीच से ही निकलकर सामने आएगा और मानवता की आगे की राह प्रशस्त करेगा।”

बंगाल में पुनर्जागरण की जरूरत

पश्चिम बंगाल के हालात पर तंज कसते हुए राजनाथ ने कहा, “मैं समझता हूँ आज बंगाल में पुनर्जागरण की आवश्यकता है, जिससे यह भूमि एकबार फिर, पूरे देश को ज्ञान-विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में नया योगदान दे सके। मुझे पूरा विश्वास है कि आप इस दिशा में पूरी अडिगता के साथ आगे बढ़ेंगे। आप सभी जानते हैं कि किसी समय महात्मा गांधीजी के राजनैतिक गुरु श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था कि ‘बंगाल जो आज सोचता है वह भारत कल सोचता है। इस कथन को फिर से साकार करने की जरूरत है और इसकी जिम्मेदारी आप जैसे युवाओं के ऊपर ही है। आप अपने जीवन में जो भी कुछ कर रहे हों, या करने जा रहे हों, यह जरूर सोचें कि उससे आपके देश और मानवता को क्या मिलने वाला है।
उन्होंने युवाओं को वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ काम करने की नसीहत देते हुए कहा, “मुझे उम्मीद है कि 2047 तक हमारा देश तीसरी या दूसरी नहीं, बल्कि शीर्षस्थ अर्थव्यवस्था के रूप में दुनिया के सामने होगा। यही उपलब्धि, गुरुदेव को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
साभार -हिस

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