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पितृ पक्ष 21 सितंबर से, आइए जानते हैं पित्र दोष से मुक्ति के उपाय और प्रमुख तिथियां…!!!

पितृ पक्ष श्राद्ध हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से आरंभ होता है और अमावस्या तिथि तक रहता है। पितृ पक्ष श्राद्ध को शास्त्रों में पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का समय बताया गया है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यमराज भी इन दिनों पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं, ताकि वह अपने परिजनों के बीच 15 दिनों तक रह कर श्राद्ध का अन्न जल ग्रहण कर तृप्त हो सकें। इस साल आश्विन कृष्ण पक्ष का आरंभ 21 सितंबर को हो रहा है। इसलिए 21 सितंबर से ही पितृपक्ष श्राद्ध का आरंभ हो जाएगा। लेकिन शास्त्रों में एक अन्य नियम भी पितृ पक्ष के संदर्भ में बताया गया है जिससे पितृ पूजन का आरंभ 20 सितंबर से ही हो जाएगा।
इनके सम्‍मान के लिए होता है भाद्र पूर्णिमा का श्राद्ध

20 सितंबर को भाद्र पूर्णिमा तिथि है। इस दिन सबसे पहला तर्पण किया जाएगा। इस पूर्णिमा तिथि को ऋषि तर्पण तिथि भी कहा जाता है। इस दिन मंत्रदृष्टा ऋषि मुनि अगस्त का तर्पण किया जाता है। दरअसल इन्होंने ऋषियों और मनुष्यों की रक्षा के लिए एक बार समुद्र को पी लिया था और दो असुरों को खा गए थे। इसलिए सम्मान के तौर पर भाद्र पूर्णिमा के दिन अगस्त मुनि का तर्पण करके पितृ पक्ष का आरंभ होता है।
पितृ पक्ष का महत्व

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्‍व होता है। मृत्‍यु के बाद भी हिंदू धर्म में पूर्वजों का समय-समय पर स्‍मरण किया जाता है और श्राद्ध पक्ष उन्‍हीं के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करने और उनके निमित्‍त दान करने का पर्व है। मान्‍यता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में पितरों के निमित्‍त दान-पुण्‍य करने से हमारी कुंडली से पितृ दोष का दुष्‍प्रभाव समाप्‍त होता है।
श्राद्ध पक्ष की प्रमुख तिथियां

प्रतिपदा श्राद्ध : 21 सितंबर
षष्‍ठी का श्राद्ध : 27 सितंबर
नवमी का श्राद्ध : 30 सितंबर
एकादशी का श्राद्ध : 2 अक्‍टूबर
चतुर्दशी का श्राद्ध : 5 अक्‍टूबर
पितृ अमावस्‍या का श्राद्ध : 6 अक्‍टूबर

 

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