Home / Entertainment / ओडिशा में भावी लोक-जीवन में शांति के आगमन के रुप में माना जाता है यहां का तीन दिवसीय रज पर्व

ओडिशा में भावी लोक-जीवन में शांति के आगमन के रुप में माना जाता है यहां का तीन दिवसीय रज पर्व

अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर
भारत का एकमात्र अनूठा पर्व है- रज पर्व जो सिर्फ ओडिशा प्रदेश में ही मनाया जाता है। ओडिशा में भावी लोक-जीवन में शांति के आगमन के रुप में माना जाता है यहां का तीन दिवसीय रज पर्व।यह पर्व ओडिशा में भगवान विष्णु की पत्नी भूमा देवी को समर्पित है।इसे नारीत्व का पर्व कहा जाता है। महिलाओं द्वारा यह पर्व मिथुन संक्रांति के दिन से लगातार तीन दिनों तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। त्यौहार के पहले दिवस को पहली रज कहा जाता है।दूसरे दिवस को मिथुन रज तथा तीसरे दिवस को भू-दाह रज कहा जाता है।पहली रज के एक दिन पूर्व कुमारी और अविवाहित कन्याएं इसकी तैयारी करतीं हैं जिसे सजबाज कहा जाता है। वास्तव में यह रज पर्व लडकियों का पर्व है जिसमें लडकियां नंगे पांव नहीं चलतीं है।वे झूला झूलतीं हैं। अपने पैरों में महावर तथा आलता लगातीं हैं।ऐसी मान्यता है कि इस दौरान ओडिशा में कोई भी निर्माण कार्य अथवा खेतों में जुताई-बोआई का काम नहीं होता है।ओडिशा में रज शब्द का अर्थ लडकियों के मासिक धर्म से है जिसे रजस्वला कहा जाता है।यह पर्व मानसून से भी जुडा हुआ है।इसीलिए इसे ओडिशा में कृषि पर्व भी कहा जाता है।इसे फूलों की सजावट का पर्व भी कहते हैं।यह पर्व आरंभ में सिर्फ दक्षिण ओडिशा में ही मनाया जाता था लेकिन अब तो यह पूरे ओडिशा में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जून मास की संक्रांति को मिथुन संक्रांति कहा जाता है जिसके आगमन से सौरमण्डल तथा प्रकृति में बदलाव आ जाता है।ग्रीष्म के उपरांत वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है।ओडिशा में घर-घर में यह मान्यता है कि जिस प्रकार महिलाओं का प्रति माह मासिक धर्म होता है जो उनके शरीर के विकास का प्रतीक होता है ठीक उसी प्रकार जून मास की मिथुन संक्रांति के दिन भगवान सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्त्व ओडिशा में देखने को मिलता है।ओडिशा में इसे भावी लोक-जीवन में शांति के आगमन के रुप में माना जाता है।2023 की पहली रज 15जून को है।उस दिन घर की बालिकाएं,युवतियां,महिलाएं तथा घर की बुजुर्ग महिलाएं एकसाथ मिलकर खूब मौज-मस्तीं करतीं हैं।पान खातीं हैं। लुड्डो खेलतीं हैं।अन्य मनोरंजक खेल खेलतीं हैं। मिलकर नाच-गान करतीं हैं।झूला झूलतीं हैं।गौरतलब है कि रज पर्व में अविवाहिता महिलाएं बढ-चढकर हिस्सा लेतीं हैं।वे परम्परागत साडी पहनतीं हैं। अपने हाथों पर मेंहदी लगातीं हैं।खाली पांव जमीन पर नहीं चलतीं।सबसे बडी बात उनके लिए यह होती है कि वे अपने भावी जीवन हेतु सुंदर,कुलीन,धन-धान्य से परिपूर्ण पति के लिए प्रार्थना करतीं हैं।उस दौरान वे तीन दिनों तक पका भोजन नहीं करतीं।भोजन में नमक नहीं लेतीं।पैरों में चप्पल नहीं पहनतीं।उस दौरान वे कोई काटने तथा छिलने आदि का काम बिलकुल ही नहीं करतीं।वहीं किसानों द्वारा उनके खेतों में कोई जुताई-बोआई नहीं होती।पहली रज के दिन महिलाएं तथा बालिकाएं सुबह उठकर अपने शरीर में हल्दी-चंदन का लेप लगातीं हैं।पवित्र स्नान करतीं हैं।पूजा-पाठ करतीं हैं।तीन दिवसीय रज पर्व के दौरान वे तीनों दिन मौसमी फल जैसेःकटहल का कोआ,आम,लीची, तथा ओडिया परम्परागत भोजन पूडा-पीठा आदि ही खातीं हैं।रज पर्व व्यक्तिगत तथा सामूहिक दोनों रुपों में ओडिशा में बडे आकार में मनाया जाता है।ओडिशा प्रदेश सरकार रज पर्व को बढावा देने के खयाल से इस वर्ष राजधानी भुवनेश्वर में इसे राज्य स्तर पर स्थानीय यात्री निवास ,स्थानीय रवीन्द्र मण्डप,जयदेवभवन आदि में मना रही है। राज्य सरकार की ओर से जगह-जगह पर के विभिन्न प्रकारों के तैयार पूडा पीठा की प्रदर्शनी लगा रही है।बालिकाओं के लिए झूले लगाई है।वहीं ओडिशा में एपार्टमेंट कल्चर के विकसित हो जाने के फलस्वरुप सभी एपार्टमेंट में अपनी-अपनी बासकॉनी में ओडिया लडकियां अभी से ही झूला झूलती नजर आ रहीं हैं।भुवनेश्वर के बाजार राजस्थानी रस्सी के झूलों से पट चुका है।यहां पर सभी प्रकार के मौसमी फलों –आम,लीची,कटहल ,जामुन आदि फलों की दुकानों की जैसे बाढ सी आ गई है।सजावट और श्रृंगार की दुकानों के साथ-साथ भुवनेश्वर-कटक के बडे –बडे सितारा होटलों में श्रृंगार की चीजों की प्रदर्शनी चल रही हैं।15जून से लेकर 17जून तक पूरे ओडिशा में मनाए जानेवाले तीन दिवसीय रज पर्व की विशेष तैयारी कटक,भुवनेश्वर,पुरी और संबलपुर आदि शहरों में स्पष्ट नजर आ रही है।सबसे बडी खुशी की बात यह है कि ओडिशा के भावी लोक-जीवन में शांति के आगमन के रुप में मनाये जानेवाले यहां के तीन दिवसीय रज पर्व के मनाने में ओडिशा प्रदेश सरकार का भी पूर्ण सहयोग नजर आ रहा है।ओडिशा सरकार का पर्यटन तथा संस्कृति विभाग रज पर्व को लेकर काफी सक्रिय है।भुवनेश्वर पंथनिवास,यात्री निवास,रवींद्रमण्डप,जयदेवभवन तथा सभी सितारा होटलों में रज पर्व के लिए फूलों की सजावट हो चुकी हैं तथा झूलें आदि लग चुके हैं।12जून से ही इन सभी स्थलों पर रज की धूम देखने को मिल रही है।

Share this news

About desk

Check Also

एक इवेंट में पैपराजी की हरकत देख भड़के रणबीर कपूर, वीडियो वायरल

मुंबई ,अभिनेता रणबीर कपूर इस समय नितेश तिवारी निर्देशित फिल्म ‘रामायण’ के कारण सुर्खियों में …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *