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एसईसीएल के दीपका मेगा प्रोजेक्ट में नया साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम चालू

  • एसईसीएल का फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी के तहत पर्यावरण के अनुकूल कोयला निकासी पर जोर

नई दिल्ली। कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल), कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एसईसीएल) परियोजनाओं के माध्यम से अपनी खदानों से सुरक्षित और टिकाऊ कोयला निकासी बढ़ाने के प्रयासों में तेजी ला रही है। एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर में एसईसीएल के दीपका मेगा प्रोजेक्ट ने शुक्रवार को अपने नवनिर्मित रैपिड लोडिंग सिस्टम और साइलो 3 और 4 से पहला कोयला रेक लोड करके सफलतापूर्वक परिचालन शुरू किया। यह पर्यावरण के अनुकूल और कुशल कोयला परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

केंद्रीय कोयला मंत्रालय के अनुसार नए चालू किए गए दीपका सीएचपी-साइलो एफएमसी प्रोजेक्ट की वार्षिक कोयला निकासी क्षमता 25 मिलियन टन है, जिससे मेगा प्रोजेक्ट की सम्प्रेषण दक्षता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। नए साइलो के चालू होने से पहले दीपका 15 एमटीपीए की क्षमता वाले मेरी-गो-राउंड (एमजीआर) सम्प्रेषण प्रणाली पर निर्भर था। साइलो 3 और 4 के चालू होने के साथ दीपका की कुल कोयला प्रेषण क्षमता अब बढ़कर 40 मिलियन टन प्रति वर्ष हो गई है, जो प्रभावी रूप से परिवहन बुनियादी ढांचे को उत्पादन स्तरों के साथ संरेखित करती है। कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में एसईसीएल ने पीएम गतिशक्ति योजना के तहत एफएमसी इंफ्रा के विकास को प्राथमिकता दी है।

एसईसीएल ने 233 एमटीपीए की संचयी क्षमता के साथ 17 फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी (एफएमसी) परियोजनाएं शुरू की हैं। इनमें से, 151 एमटीपीए की कुल क्षमता वाली 9 परियोजनाएं पहले ही चालू हो चुकी हैं, जो कोयला परिवहन को आधुनिक बनाने के लिए कंपनी की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती हैं। 82 एमटीपीए क्षमता वाली शेष 8 एफएमसी परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं और उन्हें अगले 2-3 वर्षों में चालू करने का लक्ष्य है। एफएमसी को व्यापक रूप से एक कुशल और पर्यावरण के अनुकूल कोयला परिवहन मोड के रूप में मान्यता प्राप्त है। दीपका में एफएमसी बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन से कई लाभ मिलते हैं, मसलन दक्षता में सुधार और सटीक लोडिंग, रेक में कोयले की अंडरलोडिंग और ओवरलोडिंग दोनों को कम करना।

तेज़ लोडिंग समय के कारण टर्नअराउंड समय कम हो गया है और रेक की उपलब्धता में सुधार हुआ है। कोयले की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जिससे संदूषण और नुकसान कम हुआ है। सड़क परिवहन पर निर्भरता कम हुई है, जिससे डीजल खर्च में बचत हुई है और पर्यावरण स्वच्छ हुआ है। इन नए साइलो के चालू होने से एसईसीएल, भारतीय रेलवे और कोयला उपभोक्ताओं के लिए जीत की स्थिति बनी है, क्योंकि इससे रसद को सुव्यवस्थित करने, कोयले की आवाजाही को अनुकूलित करने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिली है।
साभार – हिस

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