-
ओडिशा सरकार को संपत्ति हस्तांतरण और म्यूटेशन पर स्पष्ट दिशानिर्देश बनाने का निर्देश
-
रिकॉर्ड्स के डिजिटलीकरण और अवैध म्यूटेशन रद्द करने का आदेश
कटक। श्रीजगन्नाथ मंदिर, पुरी की संपत्तियों की रक्षा और प्रबंधन को लेकर एक अहम आदेश में ओडिशा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि मंदिर की संपत्तियों के विक्रय, पट्टे, हस्तांतरण और म्यूटेशन (नामांतरण) की प्रक्रिया के लिए स्पष्ट और व्यापक दिशानिर्देश बनाए जाएं।
यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ संजीव कुमार पाणिग्राही की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने श्रीमंदिर की संपत्तियों से संबंधित विवादों पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने मंदिर की संपत्ति की पवित्रता और कानूनी स्वामित्व को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया और सरकार को ठोस और प्रभावी कदम उठाने का निर्देश दिया।
अभिलेखों के डिजिटलीकरण का निर्देश
कोर्ट ने कहा कि मंदिर की सभी जमीन और संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में संग्रहीत किया जाए, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके। यह डिजिटलीकरण भविष्य में संपत्तियों के प्रबंधन की आधारशिला बनेगा।
हाईकोर्ट ने विशेष रूप से यह निर्देश दिया कि मंदिर की संपत्तियों के नामांतरण (म्यूटेशन) और हस्तांतरण की प्रक्रिया के लिए स्पष्ट और सख्त नियम बनाए जाएं, ताकि किसी भी प्रकार की अनधिकृत गतिविधियों या सौदों को रोका जा सके।
राजस्व और भूमि रिकॉर्ड विभाग में समन्वय जरूरी
कोर्ट ने कहा कि राजस्व विभाग और भूमि अभिलेख विभाग के बीच समन्वय बनाकर श्रीजगन्नाथ मंदिर के नाम से दर्ज संपत्तियों का सटीक रिकॉर्ड तैयार किया जाए। इन अभिलेखों में यह स्पष्ट होना चाहिए कि संपत्ति की कानूनी स्थिति क्या है और वह वर्तमान ‘श्रीजगन्नाथ मंदिर अधिनियम’ और अन्य संबंधित विधानों के अनुरूप है या नहीं।
गड़बड़ी पाए जाने पर म्यूटेशन को तत्काल रद्द किया जाए
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी संपत्ति का म्यूटेशन या नामांतरण किसी अवैध प्रक्रिया या कानूनी नियमों के उल्लंघन में किया गया है, तो उसे तुरंत रद्द कर दिया जाए।
धारा 16(2) की समीक्षा का निर्देश
कोर्ट ने संपत्तियों के हस्तांतरण और म्यूटेशन से संबंधित विधिक प्रावधानों की धारा 16(2) की समीक्षा की आवश्यकता बताई, ताकि मौजूदा खामियों और दुरुपयोग की संभावनाओं को खत्म किया जा सके।
प्रशासनिक तंत्र को और अधिक मजबूत करने की सलाह
खंडपीठ ने कहा कि मौजूदा प्रशासनिक प्रणाली को और अधिक मजबूत किया जाए और सख्त प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय अपनाए जाएं, जिससे किसी भी अनधिकृत हस्तांतरण या अतिक्रमण की संभावना को रोका जा सके।
स्वामित्व अधिकारों की रक्षा प्राथमिकता
कोर्ट ने जोर देते हुए कहा कि भगवान श्रीजगन्नाथ की संपत्तियों के स्वामित्व अधिकारों की रक्षा करना और धार्मिक तथा कानूनी नियमों से किसी भी प्रकार की विचलन को रोकना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
उल्लंघनों की तत्काल जांच और सुधार हो
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वर्तमान में हो रहे किसी भी उल्लंघन की जांच कर तत्काल सुधार किया जाए ताकि मंदिर की संपत्तियों का आगे दुरुपयोग न हो सके। यह कदम मंदिर की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्ता को ध्यान में रखते हुए उठाया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट के इस आदेश को मंदिर की संपत्तियों की रक्षा के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है, जिससे भविष्य में किसी भी अनियमितता पर रोक लगाई जा सके और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को बनाए रखा जा सके।