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nirmala_sitaraman केन्द्रीय बजट

भारतीय सामान्‍य सकल घरेलू उत्‍पाद के 2026 में 10.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान

  •  वास्‍तविक और सामान्‍य सकल घरेलू उत्‍पाद दर क्रमश: 6.4 प्रतिशत तथा 9.7 प्रतिशत रहने की संभावना

  • सरकार द्वारा आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग के लिए किए गए उपायों के कारण वित्‍त वर्ष 2024-25 (अप्रैल से दिसम्‍बर) में खुदरा महंगाई 4+2 प्रतिशत के बीच बनी रही

  • भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई की दर वित्‍त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 4.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया

  • वित्‍तीय घाटा वित्‍तीय वर्ष 2024-25 (आरई 2024-25) में जीडीपी का 4.8 प्रतिशत लक्षित, वह वित्‍त वर्ष 2025-26 में 4.5 प्रतिशत से नीचे रहने के पथ पर अग्रसर

  • वित्‍त वर्ष 2025-26 में पूंजीगत व्‍यय 11.21 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.1 प्रतिशत)

  • अप्रैल से दिसम्‍बर 2024 के बीच भारत का कारोबारी निर्यात 1.6 प्रतिशत की दर से बढ़ा (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर) जबकि सेवा क्षेत्र में निर्यात ने 11.6 प्रतिशत की बढ़त हासिल की (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर)

  • भारत का वर्तमान चालू खाता घाटा (सीएडी) वित्‍त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में 1.3 प्रतिशत की तुलना में वित्‍त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 1.2 प्रतिशत पर पहुंचा

  • राजकोषीय घाटा ढलान पर और इसके वित्‍त वर्ष 2024-25 में जीडीपी के 4.8 प्रतिशत से घटकर 2025-26 में जीडीपी के 4.4 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान

  • केन्‍द्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्‍पाद के अनुपात में गिरते क्रम में बना रहेगा, इसके वित्‍त वर्ष 2025-26 में 56.1 रहने का अनुमान, जो वित्‍त वर्ष 2024-25 में 57.1 है

  • प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश में वित्‍त वर्ष 2024-25 के दौरान बढ़त का सिलसिला जारी, 42.1 अरब अमरीकी डॉलर (वित्‍त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से अक्‍टूबर में) से बढ़कर 48.6 अरब अमरीकी डॉलर (वित्‍त वर्ष 2024-25 की समान अवधि में)

  • भारत का विदेश मुद्रा भंडार दिसम्‍बर 2024 के अंत में 640.3 अरब अमरीकी डॉलर पहुंचने का अनुमान, यह देश के बाहरी ऋण का 90 प्रतिशत हिस्‍सा कवर करने के लिए पर्याप्‍त है

नई दिल्ली। केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज 01 फरवरी, 2025 को संसद में केन्‍द्रीय बजट 2025-26 पेश करते हुए कहा है कि विश्‍व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था में से एक होने के कारण भारत वैश्विक स्‍तर पर चर्चा के केन्‍द्र में है। भारत वैश्विक वित्‍तीय प्रणाली में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चुनौतियों के बावजूद भारत सभी के लिए त्‍वरित, सही, समावेशी और सहजता के साथ अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हुए कार्य कर रहा है। भारत सरकार का लक्ष्‍य समावेशी और विस्‍तृत आर्थिक विकास सुनिश्चित करना आगे भी बना रहेगा। भारत की आर्थिक नीतियां बदलाव लाने, योजनाओं के कियान्‍वयन  और दृढ़ता के साथ जमीनी स्‍तर पर कार्य करने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। इस तरह का दृष्टिकोण न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक एवं घरेलू चुनौतियों का मजबूती का सामना करने तथा सरकार के लिए आवश्‍यक अवसर सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

सूक्ष्‍म-आर्थिक प्रारूप वक्‍तव्‍य 2024-25 के अनुसार राष्‍ट्रीय सांख्‍यकीय कार्यालय के पहले विस्‍तृत अनुमान में भारत की वास्‍तविक और सामान्‍य सकल घरेलू उत्‍पाद दर क्रमश: 6.4 प्रतिशत तथा 9.7 प्रतिशत रहने की संभावना व्‍यक्‍त की गई है। वित्‍त वर्ष 2025-26 में सामान्‍य सकल घरेलू उत्‍पाद के वित्‍त वर्ष 2024-25 के पहले अग्रिम अनुमान से अधिक 10.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

मुद्रास्‍फीति का दबाव वित्‍त वर्ष 2024-25 में देखा गया और सूक्ष्‍म-आर्थिक प्रारूप वक्‍तव्‍य के अनुसार यह 2023-24 में 5.4 प्रतिशत की तुलना में 4.9 प्रतिशत (अप्रैल से दिसम्‍बर के दौरान) के औसत पर दर्ज की गई। गिरावट का यह सिलसिला खाद्य और ईंधन मुद्रास्‍फीति के बगैर देखा गया है। समग्र मुद्रास्‍फीति की दर वित्‍त वर्ष 2024-25 (अप्रैल से दिसम्‍बर) में खुदरा महंगाई के 4+2 प्रतिशत के बीच बनी रही। सरकार द्वारा आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग के लिए किए गए उपायों के कारण यह संभव हुआ है। वक्‍तव्‍य में यह अनुमान लगाया गया है कि वित्‍त वर्ष 2025-26 में महंगाई की दर में गिरावट आने के आसार है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्‍त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में अनुमानित महंगाई के 4.6 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत रहने की संभावना जताई है। इसके अलावा घरेलू उपभोग की वस्‍तुओं के दाम लगभग सामान्‍य बने रहेंगे। यह अलग बात है कि भौगोलिक परिस्थितियां इनपर अपना असर डालती हैं और दाम बढ़ सकते हैं।

सूक्ष्‍म-आर्थिक प्रारूप वक्‍तव्‍य 2024-25 के अनुसार सरकार द्वारा कोविड 19 महामारी के बाद के वर्षों में अपनाई गई आर्थिक नीतियों एवं उपायों ने राहत पहुंचाई है और देश की विकास आवश्‍यकताओं को पूरा करने के उद्देश्‍य को प्राप्‍त करने हेतु जरूरी आर्थिक नीतियों को आधार दिया है। आरई 2024-25 में सरकार ने वित्‍तीय घाटे को सकल घरेलू उत्‍पाद के 4.8 प्रतिशत तक लक्षित करने का प्रयास किया है। वित्‍त वर्ष 2021-22 के बजट में किए गए वायदों को पूरा करने के क्रम में देश ने उपलब्धि हासिल की है और यह वित्‍त वर्ष 2025-26 में सकल घरेलू उत्‍पाद अनुपात से 4.5 प्रतिशत के नीचे रहने में सफल रहा है।

केन्‍द्र सरकार का ऋण सकल घरेलू उत्‍पाद के अनुपात में गिरते क्रम में बना रहेगा, इसके वित्‍त वर्ष 2025-26 में 56.1 रहने का अनुमान है, जो वित्‍त वर्ष 2024-25 में 57.1 रहा था। सरकार वित्‍तीय मजबूती की दिशा में आगे बढ़ते हुए हर संभव विकास तथा देश की उन्‍नति को प्राथमिकता दे रही है, बशर्ते वित्‍त वर्ष 2026-27 से वित्‍त वर्ष 2030-31 के बीच देश को किसी बड़े अथवा सूक्ष्‍म आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े, जिनका अर्थव्‍यवस्‍था पर व्‍यापक असर पड़ सकता है। भारत सरकार हर वर्ष (वित्‍त वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक) वित्‍तीय घाटे का संतुलन बनाये रखने का भरकस प्रयास कर रही है। केन्‍द्र सरकार का ऋण नीचे जाने के क्रम में है और यह 31 मार्च 2031 तक जीडीपी स्‍तर के लगभग 50+1 तक आ सकता है। इसके अलावा राजकोषीय घाटा भी घट रहा है और यह वित्‍त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्‍पाद के 4.8 प्रतिशत से नीचे आकर वित्‍त वर्ष 2025-26 में सकल घरेलू उत्‍पाद के 4.4 प्रतिशत तक जा सकता है।

  संशोधित अनुमान बजट अनुमान
2024-25 2025-26
1 वित्‍तीय घाटा 4.8 4.4
2 राजकोषीय घाटा 1.9 1.5
3 प्राथमिक घाटा 1.3 0.8
4 कर राजस्‍व (सकल) 11.9 12.0
5 गैर-कर राजस्‍व 1.6 1.6
6 केन्‍द्र सरकार ऋण 57.1 56.1

सारणी: वित्‍तीय संकेतक – जीडीपी के एक प्रतिशत में लक्षित आंकड़े

वित्‍त मंत्री ने वित्‍त वर्ष 2025-26 के लिए जारी बजट के बारे में अधिक चर्चा करते हुए कहा कि यह 11.21 लाख करोड़ रुपये (सकल घरेलू उत्‍पाद का 3.1 प्रतिशत) पूंजीगत व्‍यय के लिए रखे गए हैं। इसमें डेढ़ लाख करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ राज्‍यों की सहायता के लिए ब्‍याज मुक्‍त दीर्घावधि ऋण का प्रावधान भी किया गया है। इस बजट में पूंजीगत परिव्‍यय वित्‍त वर्ष 2019-20 की धनराशि का लगभग 3.3 गुणा है।

वक्‍तव्‍य में रेखांकित किया गया है कि वित्‍त वर्ष 2025-26 के राजकोषीय घाटे के वित्‍त पोषण के लिए कुल बाजार ऋण तिथिगत प्रतिभूति से अनुमानित रूप से 11.56 लाख करोड़ रुपये लेना होगा और शेष वित्‍त पोषण की पूर्ति लघु बचत और अन्‍य स्रोतों से होने की संभावना है। इस अवधि में सकल बाजार ऋण 14.82 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

बाह्य क्षेत्र की स्थिति का उल्‍लेख करते हुए वक्‍तव्‍य में रेखांकित किया गया है कि भारत के मर्केंडाइज निर्यात अप्रैल-दिसम्‍बर 2024 में साल दर साल आधार पर 1.6 प्रतिशत रहा, जबकि इस अवधि में सेवा क्षेत्र निर्यात में भी 11.6 प्रतिशत की बेहतर प्रगति रही।

भारत का मौजूदा लेखा घाटा वित्‍तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्‍पाद का 1.2 प्रतिशत रहा जबकि वित्‍तीय वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में यह 1.3 प्रतिशत था।

वक्‍तव्‍य में आगे बताया गया है कि वित्‍तीय वर्ष 2024-25 में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश के प्रवाह में सकारात्‍मक बदलाव रहा। वित्‍तीय वर्ष 2023-24 के अप्रैल से अक्‍टूबर की अवधि में जहां सकल प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश 42.1 अरब डॉलर था वहीं, 2024-25 के इसी अवधि के दौरान यह 48.6 अरब डॉलर हो गया। मौजूदा वित्‍त वर्ष के अप्रैल से अक्‍टूबर माह में कुल प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश 14.5 अरब रहने का अनुमान है। वक्‍तव्‍य में भारत के विदेशी मुद्रा कोष भी दिसम्‍बर 2024 में 440.3 अरब डॉलर रहने का अनुमान व्‍यक्‍त किया गया है जो देश के बाह्य ऋण का लगभग 90 प्रतिशत है। नवम्‍बर 2024 तक आयात बाह्य क्षेत्र की स्थिरता के महत्‍वपूर्ण संकेतक आयात कवर 11 महीने है।

मसौदा वित्‍त वर्ष 2025-26 के महत्‍वपूर्ण प्राथमिकताओं को दर्शाता है जिसमें रोजगार की तीव्रता बढ़ाकर समान और स्थिर विकास हासिल करने तथा अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता, बढ़े सार्वजनिक पूंजी व्यय, सामाजिक कल्याण और विकास के प्रति संतृप्त रूख अपनाने, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास में उत्पादक क्षमता विकसिक करने, केन्द्र सरकार और राज्यों की विकास क्षमता मजबूत करने तथा वित्‍तीय उत्‍तरदायित्‍व और पारदर्शिता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता दर्शाता है।

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