नई दिल्ली, भारतीय रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स में मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर के पूर्वानुमान को 9.6 फीसदी से घटाकर 9.4 फीसदी कर दिया है। इस रेटिंग एजेंसी का कहना है कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद देश की अर्थव्यवस्था ने जोरदार वापसी की है लेकिन वैक्सीनेशन की रफ्तार के अर्थव्यवस्था की राह में अड़ंगा बन सकती है।
रेटिंग एजेंसी ने जीडीपी विकास दर के अपने पूर्वानुमानों को संशोधित करने का कारण स्पष्ट करते हुए बताया है कि इस साल के अंत तक देश की शत-प्रतिशत वयस्क आबादी को कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी का टीका लगा पाना संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में लोगोें के मन में कोरोना के संक्रमण को लेकर डर बना ही रहेगा। लोग बेखौफ होकर पहले की तरह काम धंधे में नहीं लग पाएंगे। इस वजह से मौजूदा हालात में देश की आर्थिक गतिविधियों को कोरोना काल के पहले वाली स्थिति में ला पाना काफी कठिन है। इसकी वजह से जीडीपी विकास दर भी पहले के अनुमानित स्तर 9.6 फीसदी तक नहीं पहुंच सकेगी बल्कि इसमें पूर्वानुमान की तुलना में मामूली गिरावट ही आएगी।
उल्लेखनीय है कि इस रेटिंग एजेंसी ने जून के महीने में जारी अपने पूर्वानुमान में साफ किया था कि अगर इस साल के अंत तक देश की पूरी वयस्क आबादी को कोरोना का टीका लग जाता है, तो मौजूदा वित्त वर्ष (2021-22) के लिए जीडीपी विकास दर 9.6 फीसदी तक पहुंच सकती है। अगर साल के अंत तक देश में शत प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका तो जीडीपी विकास दर 9.1 फीसदी पर आकर रुक सकती है।
इंडिया रेटिंग्स की ओर से कहा गया है कि देश में वैक्सीनेशन की जो रफ्तार है, उससे साल के अंत तक शत प्रतिशत वयस्क आबादी को वैक्सीनेट नहीं किया जा सकता है। अभी भी अगर साल के अंत तक शत प्रतिशत वैक्सीनेशन का लक्ष्य लेकर चला जाए, तो प्रतिदिन 52 लाख डोज देने की जरूरत पड़ेगी, जो मौजूदा परिस्थितियों में संभव नजर नहीं आती।
हालांकि एजेंसी की ओर से ये भी स्पष्ट किया गया है कि देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। अब केरल को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में कोरोना की रफ्तार काफी कम हो गई है। देश भर में अभी तक 56 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है। इसकी वजह से आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं और अर्थव्यवस्था में रिकवरी होती नजर आने लगी है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले कुछ अन्य संकेतक भी अच्छी रिकवरी का संकेत दे रहे हैं। खासकर निर्यात के मोर्चे पर आई मजबूती और खरीफ की फसलों की बुआई में हुई तेजी की वजह से कोरोना वैक्सीनेशन के साल के अंत तक शत प्रतिशत नहीं होने के बाद भी एजेंसी ने 9.1 फीसदी की जगह 9.4 फीसदी की विकास दर हासिल करने का पूर्वानुमान किया है।
इंडिया रेटिंग के पहले अन्य अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भी देश की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक विकास, आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और जीडीपी विकास दर में बढ़ोतरी के लिए वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने की जरूरत पर बल दे चुकी है। इन रेटिंग एजेंसियों का मानना है कि जब तक कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी का डर बना रहेगा, तब तक कारोबारी गतिविधियां पहले की तरह पूरी रफ्तार से नहीं चल पाएंगी। जैसे-जैसे इस बीमारी का प्रकोप कम होगा वैसे वैसे आर्थिक गतिविधियां भी खुलती जाएंगी। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी।
साभार – हिस