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ओडिशा में कोरोना से मौत की हो रही ऑडिट

  • राज्य सरकार का स्पष्टीकरण, ऑडिट के बाद जारी होता है आंकड़ा

  • रोज मरने वालों की संख्या नहीं होती है जारी

  • कोरोना से मौत की संख्या पर राजनीति गरमाने के बाद आयी प्रतिक्रिया

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर

ओडिशा में कोरोना से मौत की ऑडिट की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मरीज की मृत्यु की असली वजह कोरोना महामारी थी या अन्य कोई बीमारी.

राज्य में कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों को लेकर राजनीति गरमाने के बाद राज्य सरकार ने प्रतिक्रिया दी है कि दैनिक आधार पर कोरोना से मौत का आंकड़ा जारी नहीं किया जा रहा है. राज्य सरकार का स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग जो आंकड़ा जारी कर रहा है, वह यह ऑडिट करने के बाद जारी किया जा रहा है कि व्यक्ति की मौत असली वजह कोरोना महामारी थी.

सत्तापक्ष के विधायक के साथ-साथ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि राज्य में कोरोना से मौत का सही आंकड़ा राज्य सरकार छुपा रही है. इस बीच कल केंद्रीय टीम कोरोना के मामलों की जांच करने के लिए ओडिशा के दौरे पर आ गयी.

इधऱ, आज राज्य के चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशालय (डीएमईटी) के निदेशक डॉ सीबीके मोहंती ने स्पष्ट किया कि कई स्तरों पर ऑडिट के बाद मृत्यु की संख्या की घोषणा की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन होने वाली मौतों (आंकड़ा) की संख्या किसी विशेष दिन की मौत की संख्या की नहीं है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविद से मृत्यु के बारे में कोई डाटा नहीं छिपाया है. मोहंती ने कहा कि पहले कोविद और गैर-कोविद मौतों पर भ्रम था. अब सरकार के एक निर्देश के बाद मौत की श्रेणियों की पुष्टि के लिए दैनिक मौतों का लेखा-जोखा किया गया.

उन्होंने कहा कि कोविद-19 की चरम प्रकोप के दौरान डॉक्टर मरीजों के इलाज में व्यस्त थे. मामले कम होने के बाद स्वास्थ्य पेशेवरों ने कोविद की मौतों की ऑडिट की.

 

उन्होंने कहा कि जब महामारी की दूसरी लहर के दौरान रोगियों की संख्या बढ़ी, तो डॉक्टरों ने उन्हें आवश्यक उपचार प्रदान करके कीमती जीवन बचाने पर जोर दिया. इलाज के दौरान कई मरीज गंभीर हालत में चले गये,, जबकि कुछ ने दम तोड़ दिया. पहले मौत की वजह जानने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी रही. कुछ लोगों की मौत कोविद से संक्रमित होने के बाद भी अन्य कारणों से हुई. हालांकि, मौतों की ऑडिट करने के बाद भ्रम दूर हो गया.

इधर निदेशक परिवार कल्याण, डॉ विजय पाणिग्राही ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए हैं. उन्होंने कहा कि हर जिले की अपनी विशेषज्ञ समिति होती है, जो कोविद से मौत की ऑडिट करती है और सरकार को रिपोर्ट करती है. इसके आधार पर सरकार रोजाना होने वाली मौतों की घोषणा करती है. पाणिग्राही ने कहा कि इसलिए ये ऑडिटेड डेथ रिपोर्ट हैं, न कि किसी विशेष दिन की.

पाणिग्राही ने बताया कि वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने सूचित किया है कि स्वास्थ्य विभाग ने चार से पांच महीने के भीतर कोविद टीकाकरण प्रक्रिया को पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

राज्य में अब तक 1,24,91,857 लाभार्थियों का टीकाकरण किया जा चुका है. गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण अभियान चलाने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों और नर्सों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभियान को जल्द से जल्द शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने स्वीकार किया कि कटक और भुवनेश्वर में एक दिन के संक्रमण में भारी कमी आई है, फिर भी यह आंकड़ा अन्य जिलों की तुलना में अधिक है. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार ने उच्च संक्रमण दर वाले क्षेत्रों में परीक्षण, कान्टेंक्ट ट्रेसिंग और निगरानी पर ध्यान केंद्रित किया है.

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