बजरंग लाल जैन, टिटिलागढ़
लोगों की सेवा करते-करते एक डॉक्टर ने साहित्य साधना में भी कदम रखने की बात चाहे किसी को आश्चर्य में भले ही डाले, लेकिन ये बात सच है. चालीस साल से डॉक्टरी सेवा में लीन स्त्री रोग विशेषज्ञ टिटिलागढ़ के डॉ. घनश्याम जैन ने साहित्य साधना करते हुए अपनी दादी-नानी से सुनी कहानी व अपने अनुभव से लघु कथाओं को एक मूर्त रूप देते हुए स्थानीय ओड़िया भाषा में “जने डॉक्टर कं स्मृति पेड़ी रु” (एक डॉक्टर की स्मृति पटल से) नामक पुस्तक लिख डाली.
इसका विमोचन स्थानीय श्री महावीर पंचायती धर्मशाला में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि ओडिशा राज्य की महिला शिशु विकास व महिला सशक्तिकरण मंत्री श्रीमती टुकुनी साहू के कर कमलों से हुआ. समारोह का सभापतित्व श्री अश्विनी मोहंती ने किया. मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ अजाम्बर मल्ल व सम्मानीय अतिथि डॉ छायाकांत षाड़ंगी थे.
पुस्तक के लेखक डॉ जैन ने अपने संबोधन में बताया कि उन्हें यह पुस्तक लिखने की प्रेरणा कैसे और कहाँ से मिली तथा पुस्तक की पांडुलिपी से लेकर प्रकाशन तक जिन-जिन साहित्यकारों ने उनकी मदद की. उन सभी का जिक्र करते हुए धन्यवाद ज्ञापति किया. मंत्री ने डॉक्टरी सेवा से साहित्य सेवा की ओर अग्रसर डॉ जैन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उक्त कहानी संग्रह को एक उपयोगी पुस्तक बताया. मुख्य वक्ता मल्ल ने अपने चित परिचित शैली से सभा को बांधे रखा और लघु कहानियां किस प्रकार व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाती हैं, उस संबंध में जानकारी प्रदान की.
सम्मानीय अतिथि षाड़ंगी ने लिखी हुई इबादत या श्लोकों का अर्थ बताते हुए इतिहास के पन्नों से कुछ उदाहरण प्रस्तुत किए. सभा के सभापति मोहंती ने भी साहित्य पर चर्चा करते हुए डॉ घनश्याम जैन की डॉक्टरी और साहित्य सेवा के बारे में जानकारी दी. इस अवसर पर डॉ जैन ने अपने आवकाश प्राप्त गुरु श्रीजुगल किशोर षाड़ंगी और श्रीजगन्नाथ पंडा को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया. समारोह का संचालन ज्योति प्रकाश गड़तिया ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता रवि किरण स्वाइं ने किया. इस मौके पर शहर के अनेक साहित्यकार, बुद्धिजीवी व महिलाएं उपस्थित थीं.