1
ले रहा अंतिम साँसें
नये साल में
कैलेण्डर पुराना
आना और जाना
यही तो है
जीवन का अफसाना…!!
2
कोसा नहीं करते हैं
किसी को
जाने के बाद
आओ गिनते हैं
खूबियां कम न होगी
जाने वाले में…!!
3
फलता है जब
पेड़ सघन
अति महत्वाकांक्षा का
फल मीठे न होंगे
कह गया बीतता वर्ष
विदा लेते हुए…!!
4
हाथों में लिए खड़ा आईना
दिसम्बर इकतीस
झिलमिलायी माथे पर
बिन्दिया अनुभव की
यूँ , बढ़ जाती हर साल
आभा मुख की
पहले से ज्यादा…!!
5
मिला नहीं है तलपट
साल भर का
सोच रही हूँ
क्या भूली , क्या याद रहा
उफ्फ़ !
मेरे बस का है कहाँ
ये जीवन-गणित…!!
✍️ पुष्पा सिंघी , कटक