भुवनेश्वर. जनजाति समाज के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण में जीवन खपाने वाले स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या को 12 साल बीत जाने के बाद भी उनके हत्यारों व साजिशकर्ताओं को दंड नहीं मिल पाया है. इस मामले की जांच करने के लिए गठित दो न्यायिक कमिशनों की रिपोर्टों को भी अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है. इस कारण स्वामीजी के हत्यारों व हत्या के साजिशकर्ताओं को दंड दिये जाने के साथ साथ न्यायिक जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के 12 साल पूरे होने से पहले हिन्दू जागरण सामुख्य के प्रदेश संयोजक तथा वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत पटनायक ने यह मांग की. उन्होंने कहा कि 12 साल लंबा समय होता है, लेकिन इतने लंबे समय के बाद भी हत्यारों व हत्या के पीछे की साजिश व साजिशकर्ताओं का पता न लगाया जाना राज्य सरकार की विफलता को प्रमाणित करती है. उन्होंने कहा कि स्वामी लक्ष्मणानंद केवल धर्माचार्य ही नहीं थे, बल्कि कर्मचार्य भी थे. उन्होंने हिमालय से अपनी व्यक्तिगत मोक्षकी कामना छोड़कर अनुसूचित जाति–जनजाति बहुल कंधमाल जिले को कर्मभूमि बनाया तथा वहां विद्यालयों की स्थापना कर बच्चों में शिक्षा को फैलाया था. इससे कुछ लोगों को दिक्कत हो रही थी और उन्होंने साजिश कर स्वामीजी की हत्या करवायी, लेकिन आज तक इस हत्या का रहस्य पर पर्दा नहीं हटना दुर्भाग्यपूर्ण है. उल्लेखनीय है कि 12 साल पूर्व कंधमाल जिले के जलेशपेटा स्थित आश्रम में 23 अगस्त को अज्ञात लोगों ने स्वामी लक्ष्मणानंद व उनकी सहयोगियों की अत्यंत नृशंस तरीके से हत्या कर दी थी.
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