Home / Odisha / ओडिशा के जंगल विभाग में जकड़ी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें

ओडिशा के जंगल विभाग में जकड़ी हैं भ्रष्टाचार की जड़ें

  • तीन साल में सतर्कता विभाग के हाथ लगे 20 से अधिक अधिकारी

  • करोड़ों की बेहिसाबी संपत्तियां की गयीं जब्त

  • सरकारी नौकरी करते समय कैसे बन रहे हैं करोड़ों की संपत्ति के मालिक, सतर्कता विभाग के अधिकारी भी हैरान

शेषनाथ राय,  भुवनेश्वर

वन अधिकारियों के ठिकानों पर की गयी सतर्कता विभाग की कार्रवाई ने जंगल विभाग की जड़ें हिलाकर रख दी है. जंगल विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें जकड़ी हुईं हैं. आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दो सप्ताह में वन विभाग के तीन अधिकारियों को सतर्कता विभाग ने धर-दबोचा है. हालांकि अभी भी भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ तक पहुंचने में सतर्कता विभाग को कामयाबी नहीं मिल पाई है, लेकिन उसकी कार्रवाई ने लोगों की नींद उड़ा दी है. आंकड़ों की बात करें तो पिछले साढ़े तीन साल में वन विभाग के 20 से अधिक अधिकारियों की भ्रष्टाचार की जड़ें सतर्कता विभाग उखाड़ चुका है. ये अधिकारी इस विभाग के जाल में फंस चुके हैं. यह आंकड़े बता रहे हैं कि जंगल विभाग को जंगलराज बना दिया गया है. विश्वास की बुनियाद हिल गयी है. नये वन सृजन से लेकर पौधरोपण और इसकी सिंचाई की व्यवस्थाओं को लेकर सवालिया निशान लगने लगे हैं. केवल इतना ही नहीं बाघ,  हाथी,  हिरण जैसे जीवों के शिकार या फिर चोरी से लकड़ी तस्करी करने के मामले में अधिकारियों की लिप्तता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं. अपने नौकरी के समय में ही किस प्रकार से अधिकारी करोड़ों करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक बन जा रहे हैं, एक से अधिक घर, जमीन के साथ लाखों रुपये किस प्रकार से उनके खाते में जमा हैं, इन सबने सतर्कता विभाग के अधिकारियों को भी आश्चर्यचकित कर दिया है.

2 सप्ताह में पकड़े गए तीन अधिकारी

आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में मात्र 2 सप्ताह के अंदर वन विभाग के तीन अधिकारी सतर्कता विभाग के जाल में फंस चुके हैं. आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में 18 अगस्त को सतर्कता विभाग ने बालू गांव के रिटायर रेंजर अभय कुमार जेना को पकड़ा और उनके पास से चार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति बरामद की. 11 अगस्त को चिलिका डीएफओ आलोक रंजन होता को पकड़ा गया और उनके पास से तीन करोड़ से अधिक रुपये की संपत्ति जप्त की गई. पांच अगस्त को पूरी सरकारी वन संरक्षक के घर पर  सतर्कता विभाग ने छापा मारा था. इस तरह से पिछले साढ़े तीन साल में 20 वन अधिकारी सतर्कता विभाग के जाल में फंस चुके हैं.

प्राप्त सूचना के मुताबिक 2016 में आठगढ़ डीएफओ सुधांशु शेखर मिश्र सतर्कता विभाग की जाल में फंसे थे. इनके पास नकद एक करोड़ रूपये के साथ साढ़े पांच करोड़ रुपये से अधिक रुपये की संपत्ति होने की बात सतर्कता विभाग की जांच में पता चली. फरवरी 2017 में नुआपड़ा खरियार डीएफओ शरत चंद्र पंडा को पहले आयकर विभाग ने दबोचा. फिर उनके यहां सतर्कता विभाग ने छापामारी की. भुवनेश्वर गौरीनगर में मौजूद घर के साथ पांच करोड़ रुपए की संपत्ति उनके पास से जब्त की गई थी. इन दोनों अधिकारियों को अब सरकार ने जबरन रिटायरमेंट लेटर पकड़ा दिया है.

उसी तरह से 2017 मार्च महीने में वरिष्ठ इंजीनियर डीएफओ महादेव बड़ाई के घर पर सतर्कता विभाग ने छापा मारा और एक करोड़ रुपये के घर के साथ भारी मात्रा में उनके पास संपत्ति होने की बात पता चली. 10 जून को एक लाख 66 हजार रूपए घूस लेने के आरोप में बालांगीर पटनागढ़ केंदुलिफ डीएफओ प्रणव कुमार मोहंती एवं डिप्टी रेंजर त्रिलोचन देहुरी को सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार किया. इसके अलावा एक व्यक्ति के जाल में अजगर सांप फस जाने के मामले में उस व्यक्ति पर कार्यवाही न करने के लिए पांच हजार रूपये घूस लेने के आरोप में पार्लाखेमुंडी रामगिरी वन विभाग डीएफओ दिवाकर को इसी साल जनवरी महीने में सतर्कता विभाग ने गिरफ्तार किया था.

पौधों में पानी देने के लिए बिल पास कराने के बाबद 12 हजार रूपये घूस लेते हुए बौध जिला कंटामाल केंदुपत्र सबडिवीजन ओएफडीसी मैनेजर विक्रम कुमार साहू को गिरफ्तार किया गया था. उसी तरह से 2018 जून महीने में गंजाम जिले के घूमसर डीएफओ विजय केतन आचार्य के घर पर सतर्कता विभाग ने छापा मारा था और भुवनेश्वर में दो तथा कटक में एक घर के साथ करीबन एक करोड़ रुपये के बैंक जमा, 29 लाख रुपये पोस्टल डिपॉजिट होने की बात पता चली थी. यह केवल कुछ अधिकारियों की सूची मात्र है. ऐसे कई अधिकारी हैं जो जंगल विभाग में जंगलराज चला रहे हैं और करोड़ों की संपत्ति अपने नाम कर रहे हैं. पूर्व पीसीसीएफ विजय केतन पटनायक का कहना है कि जंगल विभाग में विकास काम के लिए भारी मात्रा में धन आता है ऐसे में विभाग में भ्रष्टाचार की संभावना बनी रहती है. कुछ अधिकारी भ्रष्टाचार में शामिल हैं. ऊपर के अधिकारी जांच करें तो भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है. वकील सिद्धार्थ दास का कहना है कि जंगल में वन्य जंतु प्रकल्प, पौधारोपण, विभिन्न विकास कार्य, पर्यटन स्थलों का विकास करने के लिए करोड़ों रुपये आता है. जंगल के अंदर यह सब काम होने से आसानी से धांधली का मामला सामने नहीं आ पाता है. इन कार्यों का ऑडिट भी ठीक से नहीं होने से जंगल में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. इसे यदि रोकना है तो फिर उच्चस्तरीय कमेटी को इन पर नजर रखनी होगी. सतर्कता विभाग आय से अधिक संपत्ति रखने वालों को तो पकड़ पा रही है, मगर यह अधिकारी किस प्रकार से गैर कानूनी ढंग से संपत्ति एकत्र कर रहे हैं. उसकी जड़ तक नहीं पहुंच पा रही है. वन विभाग में भ्रष्टाचार के जड़ तक कब पहुंचा जाएगा, उस पर सबकी नजर लगी हुई है.

Share this news

About desk

Check Also

धान खरीद में कटनी व छटनी की प्रक्रिया होगी बंद

बरगढ़ जिले में 20 नवंबर से शुरू होगी धान की खरीद किसानों के हित में …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *