Home / Odisha / गैर-हिंदी प्रदेश में हिंदी साहित्य-संस्कृति सेवा के लिए सुभाष भुरा ‘विशिष्ट सम्मान’ से अलंकृत

गैर-हिंदी प्रदेश में हिंदी साहित्य-संस्कृति सेवा के लिए सुभाष भुरा ‘विशिष्ट सम्मान’ से अलंकृत

  • निदेशालय, संस्कृत-शिक्षा, राजस्थान, जयपुर द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय विद्वत् सम्मान समारोह-2025 में मिला गौरव

  • ‘उत्कल अनुज वाचनालय’ के माध्यम से ओडिशा में सशक्त हुआ साहित्यिक मंच

भुवनेश्वर। भुवनेश्वर के सुप्रसिद्ध साहित्यप्रेमी एवं समाजसेवी सुभाष भुरा को गैर-हिंदी प्रदेश में हिंदी साहित्य और संस्कृति की निरंतर सेवा के लिए निदेशालय, संस्कृत-शिक्षा, राजस्थान, जयपुर की ओर से ‘विशिष्ट सम्मान’ प्रदान किया गया। यह सम्मान उन्हें हालही में उदयपुर के सुखाड़िया रंगमंच सभागार, टाउन हॉल, नगर निगम परिसर में संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राज्यस्तरीय विद्वत् सम्मान समारोह-2025 में प्रदान किया गया। भुरा ‘उत्कल अनुज वाचनालय’ के संरक्षक हैं, जो ओडिशा का एकमात्र ऐसा साहित्यिक मंच है, जहां राज्य के दिग्गज साहित्यकार, व्यंग्यकार, लेखक और अनेक प्रतिष्ठित साहित्यसेवी सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। इस मंच के माध्यम से न केवल साहित्य का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, बल्कि पठन-पाठन की संस्कृति और साहित्यिक परंपराओं के संरक्षण के लिए भी सतत कार्य हो रहा है। इन्हीं बहुमूल्य योगदानों के लिए यह सम्मान उन्हें प्रदान किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान विधानसभा के माननीय अध्यक्ष प्रो वासुदेव देवनानी, अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्थान सरकार के जनजाति क्षेत्रीय विकास एवं गृह रक्षा मंत्री बाबूलाल खराड़ी, अध्यक्ष के रूप में शिक्षा (विद्यालयीय, संस्कृत) एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर तथा सारस्वत अतिथि के रूप में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर परिसर के निदेशक प्रो. वाई. एस. रमेश उपस्थित रहे।

वक्ताओं ने भुरा के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि गैर-हिंदी प्रदेश में रहकर हिंदी साहित्य को बढ़ावा देना और साहित्यकारों का सक्रिय मंच तैयार करना असाधारण उपलब्धि है। उनके प्रयासों से न केवल ओडिशा में साहित्यिक वातावरण को नई ऊर्जा मिली है, बल्कि हिंदी और अन्य भाषाओं के बीच सांस्कृतिक सेतु भी और सशक्त हुआ है।

सम्मान ग्रहण करते हुए भुरा ने कहा कि यह उपलब्धि उनके लिए नहीं, बल्कि उन सभी साहित्यकारों और पाठकों के लिए है, जो साहित्य और संस्कृति के संवर्धन में सक्रिय हैं। उन्होंने वचन दिया कि आने वाले समय में भी वे साहित्य और संस्कृति की सेवा के लिए निरंतर कार्यरत रहेंगे।

उन्होंने बताया कि उत्कल अनुज वाचनालय राज्य की भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने के साथ-साथ युवा साहित्यकारों को भी प्रोत्साहित करता है। यहां हजारों की संख्या में राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय लेखकों को कवियों की पुस्तकें उपलब्ध हैं।

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