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महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा के अवरोधों को दूर किया जाए : विहिप

  •  सर्वोच्च न्यायालय से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना

  •  कहा- सर्वोच्च न्यायालय को निर्णय लेने से पूर्व कम से कम पुरी के शंकराचार्य के साथ मंदिर के ट्रस्टियों तथा यात्रा प्रबंधन समिति को तो सुनना चाहिए था

भुवनेश्वर. विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने आज कहा है कि गत सैकड़ों वर्षों से अनवरत रूप से पुरी में निकाली जाने वाली भगवान श्रीजगन्नाथ की परम्परागत रथयात्रा इस वर्ष भी निकाली जानी चाहिए. कोविद महामारी के संकट काल में भी सभी नियमों तथा जन स्वास्थ्य सम्बन्धी उपायों के साथ यात्रा निकाली जा सकती है. यात्रा की अखण्डता सुनिश्चित करने हेतु कोई मार्ग अवश्य ढूढना चाहिए. आज की परिस्थितियों में यह अपेक्षा कदापि नहीं है कि यात्रा में दस लाख भक्त एकत्रित हों. उन्होंने माननीय सर्वोच्च न्यायालय से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने की प्रार्थना भी की.
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के संकट काल में भी, जन-स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, प्राचीन परम्परा की अखण्डता सुनिश्चित करने हेतु, उचित मार्ग निकालना, राज्य सरकार का दायित्व है. राज्य सरकार अपने इस दायित्व के पालन में पूरी तरह विफल रही है. वास्तव में ओडिशा सरकार सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस सम्बन्ध में सभी पहलू ठीक से नहीं रख पाई. परांडे ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय को इस सम्बन्ध में निर्णय लेने से पूर्व सभी सम्बन्धित पक्षों को सुनना चाहिए था. कम से कम पुरी के शंकराचार्य गोबर्धन पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के साथ मंदिर के ट्रस्टियों तथा यात्रा प्रबंधन समिति को तो सुना ही जाना चाहिए था. भगवान के रथ को प्रतीकात्मक रूप से हाथियों, यांत्रिक सहायता या कोविड परीक्षित पूरी तरह से स्वस्थ व सक्षम सीमित सेवाइतों के माध्यम से भी खींचा जा सकता है. यात्रा की इस पुरातन महान परम्परा के टूटने पर मंदिर के धार्मिक विधि विधानों में व्यवधान उपस्थित होने की सम्भावना अनेक भक्तों ने व्यक्त की है.

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