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नृत्य, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम
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मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने किया शुभारंभ
कोर्णाक। राज्य पर्यटन विभाग के सहयोग से संस्कृति विभाग और संगीत नाटक अकादमी के संयुक्त प्रयास से कोणार्क में 35वां कोणार्क महोत्सव और 14वां अंतर्राष्ट्रीय बालुका महोत्सव का भव्य शुभारंभ हो चुका है। आज यह महोत्सव भारत के सबसे प्रमुख नृत्य महोत्सवों में से एक माना जाता है।
सूर्य मंदिर के पास स्थित नाट्य मंडप में इस उत्सव का आयोजन न केवल देशभर के बल्कि दुनिया भर के नृत्य प्रेमियों को आकर्षित करता है। यह उत्सव नृत्य और संगीत के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाता है। इस बार भी विभिन्न शास्त्रीय नृत्य शैली जैसे ओडिशी, भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, और मोहिनीअट्टम की प्रस्तुतियां यहां का मुख्य आकर्षण रहेंगी।
इस आयोजन के पहले दिन ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इसका उद्घाटन किया। उनके साथ उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा, जगतसिंहपुर के सांसद डॉ विभु प्रसाद तराई और स्थानीय विधायक सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद थे।
चंद्रभागा तट पर अंतरराष्ट्रीय बालुका महोत्सव
कोणार्क उत्सव के साथ-साथ चंद्रभागा तट पर अंतरराष्ट्रीय बालुका महोत्सव भी आयोजित हो रहा है। इस महोत्सव में भारत के 121 और विदेशों के 8 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इनमें स्पेन, जर्मनी, रूस, पुर्तगाल, श्रीलंका, मैक्सिको, जापान और यूके के कलाकार अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर रहे हैं। इन कलाकारों द्वारा बालू पर उकेरे गए अद्भुत चित्र और आकृतियां इस महोत्सव को विशेष बनाती हैं।
सांस्कृतिक समागम का केंद्र
कोणार्क उत्सव सिर्फ एक नृत्य महोत्सव नहीं, बल्कि कला, संगीत, साहित्य, और आत्मिक अनुभव का संगम है। इस उत्सव में देश-विदेश के कलाकार, साहित्यकार, और पर्यटक एक साथ आते हैं, जो इसे एक अनूठा और अद्वितीय अनुभव बनाता है।