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ओडिशा में अब भी सक्रिय हैं माओवादी, 60-70 की मौजूदगी
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केवल 6-7 उग्रवादी ओडिशा के : आईजी बीएसएफ
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केंद्र और राज्य सरकारों ने 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य तय किया
भुवनेश्वर। सुरक्षा बलों द्वारा चलाए जा रहे कड़े अभियानों के बावजूद ओडिशा में माओवादी गतिविधियां पूरी तरह समाप्त नहीं हुई हैं। राज्य में अब भी 60 से 70 नक्सली सक्रिय हैं।
आईजी बीएसएफ सीडी अग्रवाल ने बताया कि इनमें से केवल 6-7 उग्रवादी ओडिशा के हैं, जबकि बाकी छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड से हैं। ओडिशा में माओवादी संगठन का नेतृत्व छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के कैडर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य तय किया है। माओवादी प्रभावित इलाकों में गहन तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे उग्रवादी आत्मसमर्पण करने को मजबूर हो रहे हैं। मजबूत सुरक्षा व्यवस्था और विकास कार्यों के कारण माओवादी मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और उनकी गतिविधियां धीरे-धीरे कम हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि देश में कुल 38 जिले माओवादी प्रभावित हैं, जिनमें ओडिशा के मालकानगिरि, कोरापुट और कंधमाल समेत सात प्रमुख जिलों में शामिल हैं। माओवादियों ने ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित घने जंगलों का फायदा उठाकर अपने शिविर स्थापित किए हैं और हिंसक गतिविधियां अंजाम देते हैं।
उन्होंने बताया कि हाल ही में मल्कानगिरी जिले के एमवी-79 थाना क्षेत्र के जीनलगुड़ा में सबरी नदी के किनारे पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हुई, जिसे बाद में ग्रामीण के रूप में पहचाना गया। कुछ माओवादी जवानों पर गोलीबारी के बाद जंगलों में भागकर छत्तीसगढ़ के जंगलों में लौट गए।
आईजी बीएसएफ ने कहा कि राज्य पुलिस, बीएसएफ और डीवीएफ के संयुक्त अभियानों के बावजूद माओवादी अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। हालांकि, सुरक्षा बल उनके ठिकानों पर लगातार दबाव बना रहे हैं।
इस दौरान उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों बीएसएफ की मिली सफलताओं को भी गिनाया तथा विकास को लेकर किये जा रहे कार्यों को भी बताया।
बीएसएफ के भुवनेश्वर स्थित मुख्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में डीआईजी धीरेंद्र कुमार, डीआईजी संजीव कुमार, कमांडेंट सुमन कुमार और नवीन कुमार, डिप्टी कमांडेंट केके दास, सहायक कमांडेंट हरिकृष्ण बिसोई और आशीष सिंह तथा अन्य उपस्थित थे।
बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ खत्म
बांग्लादेश सीमा पर हालात को कुशलता से संभालते हुए बीएसएफ ने घुसपैठ लगभग खत्म कर दी है। आईजी बीएसएफ सीडी अग्रवाल ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल सभी सीमाओं पर अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सीमा पर घुसपैठ रोकने में सफलता मिली है। साथ ही, देश के विभिन्न राज्यों में नक्सलवाद और आतंकवाद की मौजूदगी को लेकर उन्होंने कहा कि जहां तत्कालीन सरकारों ने गंभीरता से काम नहीं किया, वहां नक्सलवाद ने पैर पसारे। लेकिन, जिन सरकारों ने इसे खत्म करने पर जोर दिया, वहां नक्सलवाद और आतंकवाद का खात्मा हो चुका है।
समस्याओं को जड़ से खत्म करने की कोशिशें जारी
आईजी अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान सरकारें इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने में जुटी हैं। हालांकि, धने जंगलों में नक्सलियों की उपस्थिति, मादक पदार्थों की खेती और तस्करी जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। बीएसएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इन समस्याओं से निपटने के लिए लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने से हालात में सुधार हो रहा है।
आईजी बीएसएफ सीडी अग्रवाल ने बताया कि इनमें से केवल 6-7 उग्रवादी ओडिशा के हैं, जबकि बाकी छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड से हैं। ओडिशा में माओवादी संगठन का नेतृत्व छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के कैडर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे का लक्ष्य तय किया है। माओवादी प्रभावित इलाकों में गहन तलाशी अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे उग्रवादी आत्मसमर्पण करने को मजबूर हो रहे हैं। मजबूत सुरक्षा व्यवस्था और विकास कार्यों के कारण माओवादी मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं और उनकी गतिविधियां धीरे-धीरे कम हो रही हैं।
उन्होंने बताया कि देश में कुल 38 जिले माओवादी प्रभावित हैं, जिनमें ओडिशा के मालकानगिरि, कोरापुट और कंधमाल समेत सात प्रमुख जिलों में शामिल हैं। माओवादियों ने ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर स्थित घने जंगलों का फायदा उठाकर अपने शिविर स्थापित किए हैं और हिंसक गतिविधियां अंजाम देते हैं।
उन्होंने बताया कि हाल ही में मल्कानगिरी जिले के एमवी-79 थाना क्षेत्र के जीनलगुड़ा में सबरी नदी के किनारे पुलिस और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हुई, जिसे बाद में ग्रामीण के रूप में पहचाना गया। कुछ माओवादी जवानों पर गोलीबारी के बाद जंगलों में भागकर छत्तीसगढ़ के जंगलों में लौट गए।
आईजी बीएसएफ ने कहा कि राज्य पुलिस, बीएसएफ और डीवीएफ के संयुक्त अभियानों के बावजूद माओवादी अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं। हालांकि, सुरक्षा बल उनके ठिकानों पर लगातार दबाव बना रहे हैं।
इस दौरान उन्होंने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों बीएसएफ की मिली सफलताओं को भी गिनाया तथा विकास को लेकर किये जा रहे कार्यों को भी बताया।
बीएसएफ के भुवनेश्वर स्थित मुख्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन में डीआईजी धीरेंद्र कुमार, डीआईजी संजीव कुमार, कमांडेंट सुमन कुमार और नवीन कुमार, डिप्टी कमांडेंट केके दास, सहायक कमांडेंट हरिकृष्ण बिसोई और आशीष सिंह तथा अन्य उपस्थित थे।
बांग्लादेश सीमा पर घुसपैठ खत्म
बांग्लादेश सीमा पर हालात को कुशलता से संभालते हुए बीएसएफ ने घुसपैठ लगभग खत्म कर दी है। आईजी बीएसएफ सीडी अग्रवाल ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल सभी सीमाओं पर अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल सीमा पर घुसपैठ रोकने में सफलता मिली है। साथ ही, देश के विभिन्न राज्यों में नक्सलवाद और आतंकवाद की मौजूदगी को लेकर उन्होंने कहा कि जहां तत्कालीन सरकारों ने गंभीरता से काम नहीं किया, वहां नक्सलवाद ने पैर पसारे। लेकिन, जिन सरकारों ने इसे खत्म करने पर जोर दिया, वहां नक्सलवाद और आतंकवाद का खात्मा हो चुका है।
समस्याओं को जड़ से खत्म करने की कोशिशें जारी
आईजी अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान सरकारें इन समस्याओं को जड़ से खत्म करने में जुटी हैं। हालांकि, धने जंगलों में नक्सलियों की उपस्थिति, मादक पदार्थों की खेती और तस्करी जैसी चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। बीएसएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इन समस्याओं से निपटने के लिए लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने से हालात में सुधार हो रहा है।