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5 साल में बिजली गिरने से 1103 लोगों की मौत : सुरेश पुजारी
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खनिज क्षेत्रों में अधिक होता है वज्रपात
भुवनेश्वर। पिछले 5 सालों में बिजली गिरने से होने वाली मौतों के मामले में ओडिशा भारत के सभी राज्यों से आगे है। ओडिशा में पिछले 5 सालों में बिजली गिरने से 1103 लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने आज विधानसभा में झारसुगुड़ा विधायक टंकधर त्रिपाठी द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि शोध से यह पता चला है कि आमतौर पर उस क्षेत्र में बिजली अधिक गिरती है, जहां खनिज अधिक होते हैं। इस कारण उन इलाकों में मौतों की संख्या अधिक होती है।
उन्होंने कहा कि बादलों के बीच टकराव के कारण बिजली गिरती है। मिट्टी के नीचे के खनिज सुपरकंडक्टर्स के रूप में कार्य करते हैं और बिजली को आकर्षित करते हैं। उन्होंने कहा कि इसके कारण उन क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं अधिक होती हैं, जहां खनिज प्रचुर मात्रा में हैं।
स्थाई बचाव की कोई व्यवस्था नहीं
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक इस संबंध में लगातार शोध कर रहे हैं, लेकिन आज भी वज्रपात से स्थाई बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि खेतों और स्कूलों में बिजली गिरने से बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हो रहे हैं। राजस्व विभाग ने ताड़ के पेड़ लगाने के लिए वन विभाग को सात करोड़ रुपये दिये हैं। वज्रपात से मृत्यु होने पर चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जा रही है।
अनुकंपा राशि बढ़ाने की मांग
विधानसभा में आज बिजली गिरने से मौत के मामले में पीड़ितों के परिजनों को दी जाने वाली अनुकंपा सहायता राशि बढ़ाने की मांग की गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने यह मांग की। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने भी इस प्रस्ताव पर सहमति जताई और कहा कि जल्द ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। आज विधायक टंकधर त्रिपाठी के मूल प्रश्न पर चर्चा के दौरान मूल प्रश्नकर्ता समेत बीजद विधायक अश्विनी पात्र ने भी बिजली गिरने से हुई मौतों पर अनुग्रह राशि बढ़ाने की मांग की थी।
शीघ्र होगा निर्णय, फंड पर्याप्त
इसके जवाब में मंत्री पुजारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के लिए राज्य सरकार को 22 सौ से 23 सौ रुपये की राशि प्रदान की है। हमने इसके लिए दो सौ करोड़ रुपये आपदा नुकसान के लिए रखा है। यह फंड पर्याप्त है। इसलिए इस पर शीघ्र बातचीत कर निर्णय लिया जाएगा।