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कहा-जो ईश्वर की तरफ एक कदम बढ़ता है, तो भगवान 1000 कदम बढ़कर अपने पास खींचते हैं
पुरी। सुदामा के पास सम्पत्ति नहीं था, पर वे दुखी नहीं थे। यदि सम्पत्ति से सारा सुख से मिले तो पैसे वाले सारे सुख को खरीद लेंगे, पर ऐसा नहीं। सुदामा अभाव में भी परम आनंद में थे। सुशीला जो सुदामा की पत्नी थीं, पति से कोई शिकायत नहीं करती थीं। सुदामा सुशीला के कहने पर द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के पास चल दिए। बीच रास्ते सुदामा जी सो गए पर कृष्ण ने अपनी माया से द्वारिका पहुंच दिया। जो ईश्वर की तरफ एक कदम बढ़ता है, तो भगवान 1000 कदम बढ़कर अपने पास खींच लेते हैं। कृष्ण के पास लौटकर सुदामा आए तो महल और समृद्धि को देखकर सुशीला से पूछे तो उन्होंने कहा कि रात में सोई थी, तो झोपड़ी थी पर सबेरे ये महल बन गया। लगता है यह आपके मित्र द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का फल है। सूर्य ग्रहण के समय जब द्वारिका वालों के संग कृष्ण-बलराम कुरुक्षेत्र पहुंचे तो ब्रजवासी, गोपियां नंद बाबा के संग पहुंचे। लगभग एक सौ साल यह दिव्य मिलन हुआ। गोपियां कृष्ण से कहती हैं कि हम आपको भूला ही नहीं पाती, इसलिए घर-गृहस्थी में मन लगा पाती। इसे सुनकर समझ गए विदाई के गोपियां का जीवन और दुखमय हो जाएगा। इसीलिए कृष्ण गोपियों का ज्ञान का उपदेश देते हुए कहा कि सारे जगत का अभिन्न उपादान निमित्त कारण मैं ही हूं। मैं ही सबकी आत्मा में प्राण के रूप में विद्यमान रहता हूं। भागवत धर्म कहता है कि जो भी आपकी योग्यता है, दायित्व मिला है उसे मनोयोग और ईश्वरीय कार्य समझकर करो तो वह कार्य साधना बन जाती है। श्रीमद्भागवत कथा भक्त ज्ञान यज्ञ है। यह दिव्य कथा है। सात दिन दिनों तक जिस किसी यह कथा सुनी, यदि कथा की बातें हृदय को छू गईं हो, तो आपका सकारात्मक भाव हो जाएगा, निरन्तर भगवान के नाम-जाप और कथा में प्रेम बढ़ जाएगा। शक्ति और सम्पत्ति ईश्वर नियंत्रित न हो तो विनाश नहीं होता। ये बातें अग्रवाल परिवार के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कृष्णा होटल, सी साइट के सभागार में कहीं। कथा के दौरान धूमधाम से भगवान कृष्ण के संग फूलों की होली खेली गई। श्रद्धालुओं का स्वागत मंजू-राम किशन अग्रवाल, सीमा-राज किशोर अग्रवाल, निर्मला-सुरेश अग्रवाल, सीमा-बद्री अग्रवाल, सरिता-नरेश अग्रवाल व सुनीता-गिरिधारी अग्रवाल ने किया। इस पर सरिता अग्रवाल ने आभार व्यक्त करती हुए कहा कि जो भागवत की राह पर चलते हैं, वे सूरज की तरह चमकते हैं। मुस्कान अग्रवाल ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने से चरित्र निर्माण में सार्थक सहयोग मिलता है। नारायण की सेवा से लक्ष्मी की कृपा होती है। इस अवसर पर विशेष रूप से रामकथा वाचक पुरुषोत्तम तिवारी (कोलकाता) मौजूद रहे।