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राष्ट्रीय कवि संगम का कवि सम्मेलन आयोजित

  •  वीर रस व हास्य व्यंग्य की कविताओं पर जमकर लगे ठहाके

  • वरिष्ठ समाजसेवी सुभाष भुरा को संगम की तरफ से किया गया सम्मानित

। राष्ट्रीय कवि संगम खुर्दा जिले की तरफ से भुवनेश्वर उत्कल अनुज वाचनालय में राष्ट्रभक्ति के ऊपर एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि के तौर पर वाचनालय के संरक्षक तथा वरिष्ठ समाजसेवी सुभाष भुरा उपस्थित रहे, जिन्हें राष्ट्रीय कवि संगम की तरफ से सम्मानित किया गया।

 समारोह में प्रांतीय अध्यक्ष नथमल चनानी, प्रांतीय सलाहकार प्रकाश बेताला, महामंत्री पुष्पा सिंघी, मीडिया प्रभारी सव्यसाची विशोई, खुर्दा जिले के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह, खुर्दा जिले की संयोजिका रीतु महिपाल, जिला की मंत्री आशीष कुमार साह, मीडिया प्रभारी सुधीर कुमार एवं अन्य तमाम कवि-कवियित्रियों ने उपस्थित रहकर एक से बढ़कर एक देश भक्ति कविता के माध्यम से सबों का दिल जीत लिया।

 समारोह में संगम के प्रांतीय अध्यक्ष नथमल चनानी ने मारवाड़ी भाषा में देखो पायल बाजै रे, घर के आंगन में मेरी बिटिया नाचै रे कविता के माध्यम से उत्सव को उत्सव मुखर बना दिया तो वहीं वरिष्ठ कवियत्री तथा संगम की महामंत्री पुष्पा सिंघी ने मां है तो—शीर्षक कविता के माध्यम से सभी को भावुक कर दिया। रीतु महिपाल ने जिगर का टुकड़ा कविता के जरिए मां की ममता का वर्णन किया। युवा कवि विक्रमादित्य सिंह ने मंच संचालन करने के साथ ही एक से बढ़कर एक शायरी के माध्यम से सभी को लोगों गुदगुदाने का काम किया और युवा शक्ति के कविता के माध्यम से देश भक्ति का भाव जगाने के प्रयास किया।प्रांतीय सलाहकार प्रकाश बेताला ने प्रांत के अध्यक्ष से निवेदन किया कि ओडिशा के अंदर राष्ट्रीय कवि संगम के मंच से बड़े कार्यक्रम करने एवं एक एक प्रतिभाओं को खोजकर निकालने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कवि चाहे ओडिआ भाषा से हों, हिन्दी भाषा से हों, मारवाड़ी भाषा से हों या भोजपुरी भाषा से हों भाषा कोई भी कोई असुविधा नहीं है, कविता में भाव होनी चाहिए। राष्ट्रीय कवि संगम की प्रांतीय महामंत्री पुष्पा सिंघी ने 26 मई को होने वाले राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय अधिवेशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रांतीय अधिवेशन का पहला चरण तेरापंथ भवन भुवनेश्वर में होगा जबकि दुसरा चरण कवि सम्मेलन के रूप में इसी शाम के समय राजभवन में होगा।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि मुरारीलाल लढानिया ने जब बसाने का मन में ना हो होसला, बेवजह घोसला ना बनाया करो, जब उठा ना सको तुम गिरे फुल को, बेवजह डालियां ना हिलाया करो कविता के माध्यम से खूब तालियां बटोरी। वहीं राष्ट्रीय कवि किशन खंडेलवाल ने पत्नी चालीसा के माध्यम से वाचनालय परिसर में मौजूद समागम को ठहाके लगाने को मजबूर कर दिया। इसके अलावा कवियत्री रीता झा ने ये मेरा हिन्दुस्तान है.., सुभाष चंद्र खुंटिया ने मो गां सेबे आउ एबे, कवि सुधीर ने सत्य पर आल्हा छंद शीर्षक कविता सुनाई। कवि रजत कुमार ने उन्माद का दिन, आशीष कुमार शाह ने शराबी की अभिलाषा शीर्षक हास्य कविता के जरिए सभी लोट पोट कर दिया। अंत में आशीष विद्यार्थी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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