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यूट्यूब में बहुत सारी मजेदार चीजें, नियंत्रण की आवश्यकता – सीजेआई

  •  हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग का जिक्र करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने दिया सुझाव

  • ओडिशा न्यायिक अकादमी में ‘डिजिटलीकरण, कागज रहित न्यायालय और ई-पहल’ पर कार्यक्रम को किया संबोधित

भुवनेश्वर। हाईकोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग का जिक्र करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि यूट्यूब में बहुत सारी मज़ेदार चीजें चल रही हैं, जिन पर हमें नियंत्रण करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह गंभीर चीजें हैं। अदालत में जो होता है, वह अत्यंत गंभीर मामला है।

कटक में ओडिशा न्यायिक अकादमी में ‘डिजिटलीकरण, कागज रहित न्यायालय और ई-पहल’ पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम जिस डिजिटल बुनियादी ढांचे को बनाने का इरादा रखते हैं, वह सबसे पहले कागज रहित अदालतें हैं। दूसरे, वर्चुअल कोर्ट और दिल्ली वर्चुअल कोर्ट में खासकर ट्रैफिक चालान के मामले में अग्रणी रहा है।

ऐसे समय में जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में काफी बातें हो रही हैं, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने शनिवार को कहा कि एआई का एक दूसरा पहलू भी है।

इसी दौरान सीजेआई ने लाइव स्ट्रीमिंग का जिक्र करते हुए कहा कि आज ज्यादातर हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं। यूट्यूब पर पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के क्लिप हैं, जो एक आईएएस अधिकारी से पूछते हैं कि उसने उचित कपड़े क्यों नहीं पहने थे या गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश में कोई वकील से पूछ रहा है कि वह अपने मामले के लिए तैयार क्यों नहीं है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यूट्यूब में बहुत सारी मजेदार चीजें चल रही हैं, जिन्हें हमें नियंत्रित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह गंभीर चीजें हैं। अदालत में जो होता है वह बेहद गंभीर चीजें है। उन्होंने कहा कि हम जो लाइव स्ट्रीमिंग कर रहे हैं, उसका एक पहलू है और हम न्यायाधीशों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि हम न्यायाधीश जो भी शब्द अदालत में कहते हैं, वह सोशल मीडिया के युग में सार्वजनिक दायरे में है। हमें इसका एहसास तब होता है, जब हम संविधान पीठ की दलीलों का सीधा प्रसारण करते हैं। कई बार नागरिकों को यह एहसास नहीं होता है कि सुनवाई के दौरान हम जो कहते हैं वह संवाद को शुरू करने को लेकर है। इसलिए सोशल मीडिया के साथ लाइव स्ट्रीमिंग या इंटरफेस जज के रूप में हम पर नई मांगें रखता है।

लाइव स्ट्रीमिंग के लिए मजबूत क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक मजबूत क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत है। लाइव स्ट्रीमिंग के लिए क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना और यह शायद एक केंद्रीय राष्ट्रीय क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और अदालतों के लिए अतिरिक्त हार्डवेयर का एक तरीका है।

सीजेआई ने कहा कि अगला महत्वपूर्ण क्षेत्र तकनीकी प्रगति है, जिसके तीन चरण की परिकल्पना की गई है और यह सॉफ्टवेयर विकास, एआई, ब्लॉकचेन और डिजिटल पहुंच के उपयोग को संदर्भित करेगा।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दूसरा पहलू भी है

सीजेआई ने कहा कि हम इस तथ्य से अवगत हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दूसरा पहलू भी है। उदाहरण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हमें यह बताने की अनुमति देना बहुत मुश्किल होगा कि एक आपराधिक मामले में दोषसिद्धि के बाद कौन सी सजा दी जाए।

सीजेआई के मुताबिक, दुनियाभर की कई अदालतों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया है। इसी समय एआई संभावनाओं से भरा हुआ है। आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक न्यायाधीश 15 हजार पृष्ठों वाले रिकॉर्ड में वैधानिक अपील में साक्ष्य को पचाएगा। एआई आपके लिए पूरा रिकॉर्ड तैयार कर सकता है।

संविधान पीठ की कार्यवाही के प्रतिलेखन के लिए एआई का उपयोग

सीजेआई ने कहा कि हम सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ की कार्यवाही के प्रतिलेखन के लिए एआई का उपयोग कर रहे हैं। किसी भी त्रुटि को साफ करने के लिए वकीलों को प्रतिलेख प्रदान किया जाता है। एक बाद देखने को मिला कि कुछ अजीब त्रुटियां थीं। एक वकील भ्रमित हो गया था कि यह स्पष्ट रूप से साफ और अपलोड किया गया था।

नागरिकों तक पहुंचना है पिचफोर्किंग तकनीक का उद्देश्य

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पिचफोर्किंग तकनीक का उद्देश्य इसे नागरिकों से दूर रखना नहीं, बल्कि देश के आम नागरिकों तक पहुंचाना है। चरण- III के लिए कुल परिव्यय 7210 करोड़ रुपये है, जो 2023-27 के बीच होने जा रहा है। चरण-I और चरण-II के लिए परिव्यय चरण-III का केवल एक अंश था। सीजेआई ने कहा कि जब हमने इस बजट के लिए आवाज उठाई तो केंद्र सरकार ने एक भी रुपया नहीं काटा।

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