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कटक में सार्वजनिक शौचालय खुलवाने के लिए अनूठा प्रदर्शन

  •  हॉकी विश्व के उद्घाटन के दौरान बने हाईटेक सार्वजनिक शौचालयों के समझ प्रदर्शनाकारियों ने किए सामूहिक रूप से किए ब्रश और स्नान

  • सार्वजनिक शौचालय को नहीं खोले जाने पर बढ़ रहा है आक्रोश

  •  कटक नगर निगम की आलोचना की

कटक। हॉकी विश्व के उद्घाटन के दौरान बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों को सार्वजनिक प्रयोग के लिए नहीं खोल जाने पर विरोध शुरू हो गया है। शहर में सुभाष संगठन के सदस्यों ने सार्वजनिक शौचालय को नहीं खोले जाने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए जनता के बीच ब्रश करने के साथ-साथ नहा-धोकर कर अनूठा विरोध प्रदर्शन किया। आक्रोशित सदस्यों ने हॉकी विश्व कप के उद्घाटन के बाद से ही सार्वजनिक शौचालयों को बंद रखने के लिए कटक नगर निगम (सीएमसी) की आलोचना की।

सूत्रों के अनुसार, सीएमसी ने हॉकी विश्व कप के दौरान शहर में कम से कम चार हाईटेक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया था। दिलचस्प बात यह है कि तब से शौचालयों को बंद रखा गया है और जनता के लिए नहीं खोला गया है। जनता के लिए शौचालय खोलने की बार-बार की मांग के बावजूद सीएमसी ने कथित तौर पर निवासियों की दलीलों को अनसुना कर दिया है।

आम लोगों के उपयोग के लिए सार्वजनिक शौचालयों को तत्काल खोलने की मांग करते हुए सुभाष संगठन के सदस्य रविवार को इकट्ठा हुए और विरोध स्वरूप शौचालय के सामने अपने दैनिक कामकाज किए।

अपने अनोखे विरोध के लिए जाने जाने वाले सदस्यों को शौचालय के सामने बाल्टियों और मगों के साथ ब्रश करते, स्नान करते हुए विरोध करते देखा गया।

संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि हम शहर को त्रस्त करने वाली विभिन्न समस्याओं के खिलाफ हमेशा खड़े रहे हैं। आज हम यहां बाल्टियों और मगों के साथ इकट्ठे हुए हैं, क्योंकि कटक के बारबाटी स्टेडियम में हॉकी विश्व कप का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया था। सरकार ने रिंग रोड के नवीनीकरण पर 30 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें 4 हाई-टेक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण शामिल था। लेकिन, ऐसा लगता है कि हाई-टेक शौचालय केवल विदेशियों को दिखाने के लिए बनाए गए थे, क्योंकि पहले दिन से ही इन पर ताला लगा होने के कारण स्थानीय लोग इनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। यह वास्तव में दुखद है कि हमें सार्वजनिक शौचालयों को खोलने का विरोध करना पड़ रहा है, जो कि हमारा मूल अधिकार है।

उन्होंने कहा कि हम पुरुष कहीं भी शौचालय कर लेते हैं, लेकिन महिलाएं ऐसा नहीं कर सकती हैं। इसलिए सार्वजनिक शौचालयों को महिलाओं के लिए खोला जाना बेहद जरूरी है।

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