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बालेश्वर में नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी

  •  ईओडब्ल्यू के बाद अब पुलिस ने एक और रैकेट किया खुलासा

  •  पांच आरोपी गिरफ्तार, मुख्य आरोपी संजीव पंडा फरार

  •  अलग-अलग जिलों के सैकड़ों युवाओं के ठगी के शिकार होने की उम्मीद

बालेश्वर। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के बाद अब बालेश्वर की पुलिस ने जिले में सक्रिय एक और फर्जी नौकरी रैकेट का खुलासा किया है। यह सफलता बालेश्वर जिले के सहदेवखुंटा थाने की पुलिस को मिली है। कहा जा रहा है कि इस रैकेट ने राज्य के 150 से अधिक शिक्षित बेरोजगार युवाओं को विभिन्न सरकारी संगठनों और उद्योगों में रोजगार दिलाने का झांसा देकर उनसे दो करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गयी है। इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपियों को धर-दबोचा है। हालांकि इस गिरोह का मास्टरमाइंड अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है। आज गिरफ्तार किए गए आरोपियों में एक महिला और चार पुरुष शामिल हैं। बताया जाता है कि ये दलाल हैं।

नकदी, गहने और फर्जी आवेदन पत्र बरामद

बालेश्वर की पुलिस अधीक्षक सागरिका नाथ ने मीडिया को बताया कि गिरफ्तारी के दौरान उनके पास से 3 लाख 9 हजार रुपये नकदी, 10 लाख 50 हजार रुपये के गहने, सैकड़ों फर्जी आवेदन पत्र और रोजगार पत्र जब्त किए गए हैं।

संजीव पंडा रैकेट का मास्टरमाइंड – एसपी

बालेश्वर की पुलिस अधीक्षक सागरिका नाथ ने बताया कि पिछले कुछ सालों से यह फर्जी रैकेट बालेश्वर में सक्रिय है और पढ़े-लिखे युवकों को ठगने की साजिश रची गई थी। उन्होंने दावा किया कि प्लस तीन डिग्रीधारी तथा सदर थाना सुंदरी क्षेत्र का निवासी संजीव पंडा इस रैकेट का मास्टरमाइंड है, जबकि उसके सहयोगी के रूप में सुंदरी क्षेत्र के देबब्रत मल्लिक, समिता पंडा, अजीत कुमार पंडा, टाउन थाना के तुलंगसाही क्षेत्र के संबित पंडा एवं सिंला थाना अधीन गुहालीपड़ा क्षेत्र के सुशील कुमार मोहंती काम कर रहे थे।

अधिकारियों से अच्छे संबंध का देते थे झांसा

बताया गया है कि जांच के दौरान पता चला है कि ये सभी विभिन्न सरकारी विभागों और औद्योगिक संगठनों के अधिकारियों से अच्छे संबंध होने का दावा करते थे। इतना ही नहीं, नौकरी दिलाना उनके बाएं हाथ का काम बोलकर पढ़े-लिखे युवकों को अपने झांसे में फंसाते थे।

विज्ञापनों को करते थे वायरल

जांच के दौरान पता चला है कि ये सभी महिला एवं बाल विकास समिति द्वारा विभिन्न जिलों में चलाये गये प्रचार अभियान में परियोजना सहायक, जिला समन्वयक, पंचायत कार्यपालक अधिकारी, कनिष्ठ सहायक, टाटा स्टील, रेलवे, मयूरभंज जिला वन विभाग समुदाय के संयोजक जैसे विभिन्न संगठनों के पदों के नाम से विज्ञापनों को अपने फोन नंबर व ई-मेल के माध्यम से फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि पर वायरल करते थे।

80 हजार से 2 लाख तक होती थी वसूली

विज्ञापनों को देखर जो युवा उनसे संपर्क करते थे। इनका आवश्यक प्रमाण पत्र एकत्र करते थे और आवेदन पत्र भरते थे। नौकरी से पहले और बाद में प्रति उम्मीदवार से 80 हजार से 2 लाख रुपये तक वसूली करते थे। उसके बाद उन्हें भुवनेश्वर बुलाया जाता था और वहां पर झूठे इंटरव्यू करवाकर बड़ी चतुराई से उन्हें विभिन्न सरकारी एजेंसियों और कंपनियों में ले जाकर दिखाया जाता था कि वहां कर्मचारी कैसे काम कर रहे हैं और फिर फर्जी सरकारी लोगो, रोजगार पत्र और भर्ती उम्मीदवारों की सूची बनाकर उनसे कुछ और पैसे वसूले जाते थे।

पैसा मिलने के बाद तोड़ते थे संपर्क

नौकरी के नाम पर पैसा मिलने के बाद रैकेट के लोग अभ्यर्थियों से संपर्क तोड़ लेते थे। इस बीच नौकरी के नाम पर ठगे गए बालेश्वर शहर के एक युवक प्रीतम ने संबंधित रैकेट के खिलाफ सहदेवखुंटा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने 131/23 में मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

दो विशेष टीमों ने की जांच

इस शिकायत के आधार पर एसपी सागरिका नाथ के मार्गदर्शन और निर्देश पर सिटी डीएसपी गायत्री प्रधान व सहदेवखुंटा पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए आईआईसी शुभ्रांषु शेखर नायक के नेतृत्व में दो टीमें बनाईं और जांच शुरू की।

ठगबाजों की संपत्तियां होंगी जब्त

जांच के दौरान रैकेट का मास्टरमाइंड संजीव पंडा और उसके अन्य सहयोगियों के नाम पर विभिन्न बैंकों में लगभग 28 लाख रुपये की जमा राशि और बालेश्वर तथा भुवनेश्वर में 80 लाख रुपये की संपत्ति मिली है। इन सभी को जब्त करने की सूचना संबंधित बैंक अधिकारियों व तहसीलदार को दे दी गई है।

नोटिफिकेशन को ठीक से जांचने की सलाह

फर्जी नौकरी रैकेट के खुलासों के बाद पुलिस अधीक्षक सागरिका नाथ ने सलाह दी है कि किसी भी प्रकार की भर्ती के लिए आवेदन करने से पहले नोटिफिकेशन को ठीक से जांच लें और संबंधित संगठन या संस्था की वेबसाइट या उनके प्राधिकरण से संपर्क करने के बाद ही आवेदन करें। उन्होंने कहा कि इस रैकेट के मास्टरमाइंड एवं अन्य लोगों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। जांच जारी है।

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