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जैन साध्वी शासनमाता प्रमुख कनकप्रभा के महाप्रयाण पर पुण्य स्मृति सभा आयोजित

भुवनेश्वर. स्थानीय तेरापंथ भवन में तेरापंथ धर्मसंघ की शासनमाता, साध्वी प्रमुख कनकप्रभा जी के संथारा पूर्वक महाप्रयाण के पश्चात् पुण्य स्मृति सभा का आयोजन तेरापंथ भवन में महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रम जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया. इस अवसर पर नगर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा भावांजलि अर्पित की गई. पुण्य स्मृति सभा में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि जैन धर्म का महत्त्वपूर्ण संगठन है. तेरापंथ के प्रथम गुरु आचार्य भिक्षु हुए हैं. और चतुर्थ आचार्य जीतमल जी हुए है. उन्होंने साध्वी प्रमुख पद का विधि वत सृजन किया. प्रथम साध्वी प्रमुख सरदार सती हुई. आठवीं प्रमुख कनक प्रभाजी हुई साध्वी प्रमुख का जीवन अनेक विशेषताओं का समवाय था. उनका आध्यात्मिक, बौद्धिक और प्रशासनिक व्यक्तित्व विराट था. उनमें  सात साध्वी प्रमुखओं की संपदा थी, दानशीलता, मधुर भाषिता नेतृत्वक्षमता विवेकशीलता इनमें सहजगुण थे.

मुनि ने आगे कहा कि मुमुक्षु कला से साध्वी कनक प्रभा जी बनी कनकप्रभा जी से साध्वी प्रमुख बनी. वे आचार्य तुलसी की एक विशेष कृति थी. असाधारण साध्वी प्रमुख संघ महानिर्देशिका महाश्रमणी शासन माता आदि पदों से विभूषित हुईं. मुनि ने आगे कहा कि उनकी आचार निष्ठा, आगम निष्ठा, मर्यादा निष्ठा, सिद्धान्त निष्ठा, अतुलनीय थी. वही व्यक्ति विकास कर सकता है, जिसमें सहिराता विनय निष्ठा श्रमनिष्ठा, स्वाध्याय आदि गुण होते हैं. साध्वी प्रमुख में ये सब गुण विद्यमान थे. मुनि ने आगे कहा कि जैनधर्म में जीने की कला का विशेष विषेचन है, तो मरण की कला भी बताई गई है. वे जीव भाग्यशील होते हैं, जो संयम को स्वीकार करते हैं. अन्तिम अवस्था में अनशन स्वीकार कर आत्मा की उत्कर्ष करते हैं. साध्वी प्रमुखजी भाग्य शालिनी थीं. उन्हें गुरु के श्री मुख से अनशन स्वीकार करने का दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ और कुछ समय में दिल्ली में संथारा सिद्ध हो गया. इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर स्मृति गीत प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला, मंत्री पारस सुराणा भवन समिति के अध्यक्ष सुभाष भुरा, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्रकाश बेताला, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष विवेक बेताला, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष मधु गिड़िया, वन बंधु परिषद के अध्यक्ष अजय अग्रवाल, माहेश्वरी समाज की तरफ से लालचंद मोहता, स्थानकवासी साधुमार्गी संघ की ओर से नवरतन बोथरा, वरिष्ठ श्रविका विमला भंडारी तथा प्रेमलता सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए भावांजलि अर्पित की.

ज्ञानशाला परिवार से नयनतारा सुखाणी, जितेन्द्र बैद ने भी भावांजलि अर्पित की. श्रद्धानिष्ट संगायक कमल सेठिया, तेरापंथ महिला मंडल, धारिणी सुराणा, मुक्ता बरड़िया रिद्धि बरड़िया ने सुमधुर गीतों के संगान से अपनी भावांजलि अर्पित की. कार्यक्रम के अंत में चार लोगस्स का  सामूहिक ध्यान किया गया‌. मंच संचालन मुनि परमानंद जी ने किया.

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