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स्मार्ट सिटी भुवनेश्वर में चिकित्सा व्यवस्था का खास्ता हाल

  • यूपीएचसी में सुबह 11 बजे के बाद चिकित्सकों का पता नहीं

  • बड़ी सरंचना का नहीं मिल रहा लोगों को लाभ

  • अब भी कोरोना महामारी की जकड़ में है राजधानी

भुवनेश्वर. देश में नंबर-वन स्मार्ट सिटी की ख्याति हासिल कर चुके भुवनेश्वर में चिकित्सा व्यवस्था का हाल खास्ता है. यहां का हाल ठीक वैसे ही है जैसा कि कहा जाता है ऊंचा मकान-फीका पकवान.

जी हां! कोरोना महामारी से ऊबरने के जद्दोजहद में जुटी राजधानी भुवनेश्वर में चिकित्सा की व्यवस्था यह है कि सुबह के 11 बजते ही अस्पताल कुछ कर्मचारियों पर निर्भर हो जाता है. राजधानी के बीच घनी आबादी को चिकित्सा की सुविधा पहुंचाने के नाम पर लाखों-करोड़ के खर्च से यूपीएचसी हेल्थ सेंटर तो तैयार कर दिये गये, लेकिन चिकित्सकों की उपलब्धता आज भी वहीं के वहीं है.

सुबह 11 बजते ही चिकित्सक यहां उपलब्ध नहीं होते हैं. यह हाल है राजधानी के बीचोबीच स्थित झारपड़ा यूपीएची का. यहां सुबह 11 बजे के बाद अस्पताल में केवल कोरोना जांच और कोरोना टीका का काम चलते रहता है. कर्मचारियों ने बताया कि सुबह 11 बजे तक ही चिकित्सक इलाज के लिए उपलब्ध होते हैं.

इमरजेंसी में कैपिटल अस्पताल जाइए

झारपड़ा यूपीएचसी के कर्मचारियों ने कहा कि अगर इमरजेंसी है, तो आप कैपिटल अस्पताल में चले जाइए, वहां चिकित्सक उपलब्ध होंगे. यहां सुबह में सिर्फ 11 बजे तक ही चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होती है.

इतनी बड़ी इमारत किस काम की?   

चिकित्सा व्यवस्था से महरूम हो रहे लोगों ने सवाल किया कि लाखों-करोड़ रुपये की लागत से बनी इस इमारत का अखिर क्या फायदा, जब यहां इलाज के लिए चिकित्सक ही नहीं रहते हैं. अगर कैपिटल अस्पताल में ही जाना है तो जनता के पैसे की बर्बादी क्यों की गयी?

मौसमी बीमारियों और कोरोना की जकड़ में है राजधानी

उल्लेखनीय है कि राजधानी भुवनेश्वर आज भी कोरोना महामारी के साथ-साथ मौसमी बीमारियों की जकड़ में है. कुछ दिन पहले तक डेंगू ने भी अपना कहर बरपाया था. आज भी राजधानी भुवनेश्वर में कोरोना संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजधानी में 25 अक्टूबर को भी कोरोना के 168 नये पाजिटिव मामले पाये गये थे. राजधानी में अब भी कोरोना के 3409 पाजिटिव मामले हैं.

ठंड के मौसम में बढ़ती है सर्दी-बुखार की बीमारी

राजधानी में गुलाबी ठंड ने भी दस्तक दे दिया है. मौसम के बदलते मिजाज के कारण सर्दी और बुखार की बीमारी भी बढ़ती नजर आती है. ऐसी स्थिति के लिए ही यूपीएससी सेंटर बनाये जाते हैं, ताकि लोगों को बड़े अस्पतालों में न जाने पड़े, लेकिन यह सेंटर तो सुबह 11 बजते ही चिकित्सकविहीन हो जाते हैं.

एंटीजन टेस्ट के बाद नहीं मिल रही है दवा

सर्दी-बुखार से पीड़ितों के अस्पताल में पहुंचने पर कोरोना का पता लगाने के लिए एंटीजन टेस्ट तो किया जा रहा है, लेकिन पाजिटिव या निगेटिव होने की स्थिति में मरीज को दवा भी नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में कल मरीजों में गुस्सा भी देखने को मिला.

 

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