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मां दुर्गा की मूर्तियों की ऊंचाई पर हस्तक्षेप से उच्च न्यायालय का इनकार

  • हाई कोर्ट में बालू बाजार पूजा समिति की याचिका

कटक. राज्य के उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को बालू बाजार पूजा समिति की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी कि मौजूदा कोविद-19 स्थिति को देखते हुए दुर्गा की मूर्तियों की ऊंचाई चार फीट के भीतर सीमित कर दी जाए.

अदालत ने त्योहारों पर नौ अगस्त के दिशानिर्देशों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें राज्यभर के विभिन्न पंडालों में दुर्गा मूर्तियों की ऊंचाई चार फीट के भीतर रखने और घर के अंदर पूजा करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं.

मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति बीपी राउराय की खंडपीठ ने गुरुवार को पूजा समिति की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पीतांबर आचार्य की दलीलों और राज्य के वकील डीके मोहंती की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर सुनवाई बंद कर दी थी.

समिति ने यह कहते हुए उच्च न्यायालय से प्रार्थना की थी कि मिट्टी की मूर्ति के रूप में देवी दुर्गा की पूजा की परंपरा वर्ष 1514 की है और परंपरा को बनाए रखने की अनुमति दे सकती है. याचिका में विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) और मुख्य सचिव को प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया था.

गौरतलब है कि पिछले साल भी बालू बाजार पूजा समिति ने मूर्ति की ऊंचाई को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उच्च न्यायालय ने तब बालू बाजार पूजा समिति सहित शहर की सात पूजा समितियों को मूर्ति की सामान्य ऊंचाई बनाए रखने की अनुमति दी थी, जबकि अन्य सभी पूजा समितियों को 4 फीट से अधिक ऊंची मूर्तियों की पूजा करने के लिए कहा था.

विशेष रूप से राज्य सरकार ने वायरल और अत्यधिक संक्रामक कोरोना से लड़ने के लिए एहतियाती उपायों के रूप में अन्य प्रतिबंधों और दिशानिर्देशों के अलावा मूर्तियों की ऊंचाई अधिकतम 4 फीट तक सीमित कर दी है.

 

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