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हिंदी दिवस पर काव्य गोष्ठी में शब्दाक्षर के कवियों ने दिलों को छुआ

भुवनेश्वर. हिंदी दिवस पर साहित्यक संस्था शब्दाक्षर की ओडिशा इकाई द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी में देश प्रदेश के अनेक कवि व कवियत्रियों ने भाग लिया. कवियों ने हिंदी की वर्तमान दशा पर चर्चा की व अन्यान्य विषयों पर काव्यपाठ कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया.

शब्दाक्षर के द्वारा हिंदी दिवस को समर्पित इस ऑनलाइन काव्यगोष्ठी का संचालन विख्यात कवयित्री डॉ अंजुमन आरा के द्वारा किया गया.

सर्वप्रथम “मैं हिन्दी हूँ देश के माथे की बिंदी हूँ” कविता से शुभारम्भ जानेमाने कवि अनूप अग्रवाल “आग” ने किया. उसके बाद कवियत्री पुष्पांजलि दास ने यथार्थवादी कविता का पाठ कर श्रोताओं की वाह वाही लूटी. बीचबीच में श्री स्वरूपा संचालिका के साथ हास्य विनोद करते हुए कवियों ने प्रोग्राम को आगे बढ़ाया. इसी क्रम में प्रवर्ति कवियत्री अनामिका शुक्ला ने अपनी सुमधुर आवाज में खनखनाती हुई शायरी सुनाई, जो लोगों के दिलों में उतर गई. काव्यगोष्ठी की संचालिका अंजुमन आरा ने ओडिशा शब्दाक्षर के अध्यक्ष किशन खण्डेलवाल को सादर आमंत्रित किया, जिन्होंने हिंदी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए यथार्थवादी रचना “साहिब अकेले हैं” का बहुत ही सुंदर अंदाज में पाठ किया, जिसको सभी श्रोताओं ने सराहा. गजल के हस्ताक्षर नियाजुद्दीन ने अपनी दो प्यारी प्यारी गजलें सुनाकर हमारे बीच पधारे शब्दाक्षर के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रवि प्रताप का दिल जीत लिया. कार्यक्रम के बीच पधारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी अपने द्वारा नव रचित शब्दाक्षर दोहों से समा बांध दी व ओडिशा कमिटि को अपना आशीर्वाद दिया.

ओडिशा अहिंदी प्रदेश होने के बावजूद भी यहाँ पर हिंदी के विकास के लिए शब्दाक्षर अपनी प्रतिबद्धता दिखा रहा है. सबसे युवा कवियत्री सूर्या लिप्सा ने तालिबानी सोच पर नवरचित कविता सुनाई तथा हमारे बीच पहली बार उत्तर प्रदेश से पधारी कवियत्री डोली ने भी अपनी रचना से सभी का मन मोह लिया.

संचालिका डॉ अंजुमन आरा ने अपनी अनूठी काव्य शैली का परिचय देते हुए “पेड़ की पोशाक” कविता सुनाई, जिसमें उनका प्रकृति के प्रति अनुठा प्रेम झलक रहा था. जैसे जैसे कार्यक्रम आगे बढ़ता गया देश के कोने कोने से श्रोता जुड़ते गए और कारवां बनता गया. अंत मे अनूप अग्रवाल ने सभी कवियों व श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की. कार्यक्रम पूरी तरह सुव्यवस्थित व सुसंचालित रहा व सभी ने हिन्दी दिवस पर एक दूसरे को बधाई दी.

 

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