एक साल पहले विपिनभाई जयंतीलाल दोशी अपने स्वर्गीय प्रयाण पर चले गए और अपने अच्छे कर्मों की एक अर्मूल्य विरासत को पीछे छोड़ गए. समाज के हर वर्ग के लिए उन्होंने जो उदार कार्य किये, उन्हें समाज ने दिलों में बसा रखा है.
35 से अधिक वर्षों तक उन्होंने एक सच्चे लायोनीज के रूप में समाज की सेवा हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया. विशेष रूप से उन्होंने कटक में मेल्विन जोन्स लायंस आई अस्पताल में प्रमुख योगदान दिया. यहां उन्होंने मृत्युपर्यंत सचिव के रूप में कार्य किया. उनके हंसमुख, परोपकारी और दयालु स्वाभाव ने उन्हें दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बना दिया.
विपिनभाई का कला और संस्कृति के प्रति प्रेम, कला विकास केंद्र में उनकी भागीदारी से स्पष्ट होता है. उन्होंने अपने चाचा, जो केंद्र के संस्थापकों में से एक थे, उनकी विरासत को अपने आजीवन और समर्पित प्रयासों के माध्यम से आगे बढ़ाया है. कला के प्रति उनकी प्रेरणा और अभियान के लिए उन्हें अक्सर ट्रस्टियों और केंद्र के सदस्यों द्वारा याद किया जाता है.
उनके उत्कृष्ट व्यक्तित्व ने वजन और मापदंड विभाग, ओडिशा के ग्राहकों, सरकारी अधिकारियों और उनके साथ काम करने वाले सभी लोगों पर एक अमित छाप छोड़ी है. वह अपने सभी व्यवहारों में कर्तव्यपरायण मेहनती और इमानदार थे.
भगवान जगन्नाथ के प्रबल भक्त के रूप में उन्होंने अपना पूरा जीवन धार्मिक उपदेशों का पालन करते हुए बिताया. उन्होंने पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी के मंदिर के लिए चांदी के द्वार निर्माण में अपना योगदान दिया.
समाज के प्रति अपने योगदानों की वजह से विपिनभाई दोशी सभी की स्मृति में सदैव याद के रूप में जीवंत रहेंगे. जिन लोगों को उनसे मिलने का सौभाग्य मिला है, उनके लिये दोशी एक मार्गदर्श और प्रेरणा बनकर साथ रहेंगे.