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भारत में पूरी तरह से निर्मित विमान छोटी दूरी की कनेक्टिविटी के लिए बनेंगे गेमचेंजर
नई दिल्ली। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (यूएसी) ने नागरिक यात्री विमान एसजे-100 का उत्पादन करने के लिए समझौता किया है। भारत में बनने वाला यह विमान छोटी दूरी की कनेक्टिविटी के लिए बड़ा क्रांतिकारी बदलाव साबित होगा। इस समझौते के तहत एचएएल के पास घरेलू ग्राहकों के लिए एसजे-100 विमान बनाने का अधिकार होगा।
एचएएल के मुताबिक एसजे-100 एक दोहरे इंजन वाला संकीर्ण शरीर वाला विमान है। अब तक 200 से ज्यादा विमानों का उत्पादन किया जा चुका है और 16 से ज्यादा वाणिज्यिक एयरलाइन ऑपरेटर इसका इनका संचालन कर रहे हैं। एचएएल और रूसी कंपनी ने 27 अक्टूबर को मॉस्को में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। एचएएल की ओर से प्रभात रंजन और यूएसी की ओर से ओलेग बोगोमोलोव ने एचएएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. डीके सुनील और यूएसी के महानिदेशक वादिम बडेखा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
एचएएल के अध्यक्ष ने कहा कि एचएएल और यूएसी के बीच यह सहयोग दोनों संगठनों के बीच आपसी विश्वास का परिणाम है। यह पहला ऐसा उदाहरण भी होगा, जिसमें भारत में एक पूर्ण यात्री विमान का उत्पादन किया जाएगा। इस तरह की पिछली परियोजना में एचएएल ने एवरो एचएस-748 का उत्पादन किया था, जो 1961 में शुरू हुई थी और 1988 में समाप्त हुई थी। अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में भारतीय विमानन क्षेत्र को क्षेत्रीय संपर्क के लिए इस श्रेणी के 200 से अधिक जेट विमानों और हिंद महासागर क्षेत्र में आस-पास के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों की सेवा के लिए अतिरिक्त 350 विमानों की आवश्यकता होगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बेंगलुरु स्थित सार्वजनिक उपक्रम में एसजे-100 विमान का निर्माण भारतीय विमानन उद्योग के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह नागरिक उड्डयन क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है। एसजे-100 एवरो युग के बाद से देश में निर्मित पहला पूर्ण यात्री विमान होगा। इस निर्माण से निजी क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी और विमानन उद्योग में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
साभार – हिस
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